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वाराणसी : भारत अध्ययन केंद्र में “चौमासा’ कार्यक्रम का हुआ आयोजन, लोक गायिका मालिनी अवस्थी हुई शामिल

वाराणसी : भारत अध्ययन केंद्र में “चौमासा’ कार्यक्रम का हुआ आयोजन, लोक गायिका मालिनी अवस्थी हुई शामिल

वाराणसी :

काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) भारत अध्ययन केंद्र एवं श्री सत्य साईं यूनिवर्सिटी फॉर ह्यूमन एक्सीलेंस, कलयुगी, कर्नाटक के संयुक्त तत्वावधान में द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमे मुख्य अतिथि लोक गायिका मालिनी अवस्थी रही। इस कार्यक्रम का आयोजन बीएचयू के भारत अध्ययन केंद्र में आयोजित किया गया।

वाराणसी : भारत अध्ययन केंद्र में “चौमासा’ कार्यक्रम का हुआ आयोजन, लोक गायिका मालिनी अवस्थी हुई शामिल

इस कार्यक्रम का उद्देश्य सामाजिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक उन सब आयामों पर चर्चा करके अपने को बेहतर समझना अपनी संस्कृति की धारा को और बेहतर समझ उसकी निर्धारित हो। इसी उद्देश्य से चौमासा का आयोजन किया गया हैं।

इस संदर्भ में उत्तर प्रदेश समाचार से बातचीत ने लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने बताया कि भारत अध्ययन केंद्र का निर्माण ही इसकी स्थापना इसलिए हुई कि भारतीय परम्पराओं का अध्ययन हो और चौमासा हमारे देश के ऋतु परिवर्तन चक्र के आध्यात्मिक की ऐसी श्रृंखला है। एक ऐसी कड़ी है जिसकी बड़ी आयाम है। सामाजिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक उन सब आयामों पर चर्चा करके अपने को बेहतर समझना अपनी संस्कृति की धारा को और बेहतर समझ उसकी निर्धारित हो। इसी उद्देश्य से चौमासा का आयोजन किया गया हैं।

उन्होंने बताया कि देवसायनी एकादशी से जब प्रारंभ होता है और देवउठ्ठानी एकादशी तक ये कार्तिक मास के चारो मास आषाढ़, सावन भादो और कुवार इन चार महीनों में जो पूरी प्रक्रिया हैं। उस पूरी प्रक्रिया में विष्णु जी को कहा जाता है जो शयन करने चले जाते है। लेकिन इस समय शिव की उपासना देवी का आह्वान सब होता है।

उन्होंने बताया कि प्रकृति कब प्राब्लय रूप ले लेती है। वर्षा होती है खेत खलिहान भर जाते हैं। क्या उद्देश्य था किस कारण से हमारे पूर्वजों से ऐसी कामना और कल्पना की थी की विष्णु जी शयन को जाते है। कई कथाएं है उसके पीछे पौराणिक मान्यताएं हैं।

उन्होंने कहा बताया कि लोग कहते है बाली की वचन की रक्षा के किये चले जाते है। लेकिन इन चार महीनों में सामाजिक अध्ययन कृषि के रूप से चारों को आयुर्वेद के हिसाब से कहा गया है कि परहेज करने को भोजन एक समय करने को क्या-क्या नही करनी चाहिए और इसके साथ-साथ ऋषिमुनियों ने एक जगह पर रहकर धर्म के प्रचार और धर्म की उपासना का भी संकेत दिया। मैं बस यही प्रार्थना करती हू की सारे विद्वान जुटकर जुड़कर इस पर जितनी भी मानसा करेंगे नई बात पैदा होगी और हमारे लोग ज्ञान अर्चन करेंगे।

Report -Vivek

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