उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में संक्रमण रोगों की बाढ़ सी आ गई है। तराई क्षेत्र में बदलते मौसम के चलते जिले के कई गावों में दर्जनों बच्चे बुखार, निमोनिया सहित कई खतरनाक बीमारियों की चपेट में हैं। पिछले दिनों निमोनिया व संक्रमण रोगों की चपेट में आकर करीब आधा दर्जन बच्चों की मौत भी हो चुकी है लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने इसके बचाव के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किये। नतीजन इसका खामियाजा इलाकाई जनता को भुगतना पड़ रहा है।
बीमार बच्चों से भरा चिल्ड्रेन वार्ड
- बहराइच जिला अस्पताल का चिल्ड्रेन वार्ड वर्तमान समय में संक्रमण रोगों की चपेट में आये बच्चों से खचाखच भरा हुआ है।
- यहां अपने बच्चों को लेकर आये संजय, हरदेव, नीरज, रजिया, रीता सहित दर्जनों लोगों ने बताया कि उनके मासूम बच्चों को निमोनिया, नजला, खांसी की बीमारी है।
- इन लोगों के कहना है कि आस-पास के तराई में पड़ने वाले विशेश्वरगंज, कैसरगंज, सहित कई गांव संक्रमण की चपेट में हैं।
- क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग का कोई भी अधिकारी या कर्मचारी झांकने तक नहीं जाता है।
- पिछले दिनों फखरपुर निवासी रूप कुमार की चार माह की बेटी राधिका, गीता पुत्री सुरेश कुमार निवासी जरवल रोड, अफसाना बेगम सहित आधा दर्जन बच्चों की निमोनिया और संक्रमण के चलते मौत हो गई थी।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
- संक्रमण की बीमारी के संबंध में बहराइच के सीएमओ डॉ. अरुण लाल ने बताया कि जिले में स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अलर्ट है।
- उन्होंने बताया कि सभी चिकित्सकों को बच्चों के बेहतर इलाज के निर्देश दिए गए हैं।
- वहीं जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. डीके सिंह ने बताया कि अस्पताल में पूरी तरह से सभी डॉ, बच्चों का सही ढंग से और टाइम पर इलाज कर रहे हैं।
- उन्होंने बताया कि बच्चों को उल्टी, दस्त और निमोनिया की समस्या मौसम बदलने के कारण हो रही है।
- दवाएं भी पर्याप्त हैं फिर भी सभी चिकित्सकों को बताया गया है कि किसी भी तरह की लापरवाही वर्दास्त नहीं की जायेगी।
क्या हैं निमोनिया के लक्षण?
- डॉ. अरुण लाल के मुताबिक, निमोनिया एक तरह का वॉयरस है।
- यह फेफड़ों में तरल पदार्थ को जमा करके हवा के बहाव और खून को रोकने लगता है।
- इसके चलते सीने में बलगम जमा हो जाता है और सीने में दर्द होने लगता है।
- साथ ही बच्चों को सांस लेने में समस्या आने लगती है।
- इसकी वजह से बच्चों को तेज बुखार भी आ जाता है।
- उन्होंने बताया कि निमोनिया के प्रमुख लक्षण हैं कि इससे बच्चे को सांस लेने में दिक्कत, घरघराहट की आवाज, सीने और पेट में दर्द, नाखून नीले पड़ना, उल्टी आना, जोड़ों में दर्द और थकान महशूस होने लगती है।
- इस बीमारी से बच्चों की मौत भी हो सकती है इसलिए हमें सचेत और जागरूक रहने के साथ लक्षण दिखते ही डॉक्टर का परामर्श लेना चाहिए।
निमोनिया के घरेलू उपचार
- निमोनिया से बचने के कुछ घरेलू उपचार भी हैं।
- निमोनिया सर्दी लगने की वजह से होती है इसलिए सिर और पैरों को ढ़क के रखना चाहिए।
- बच्चे को निमोनिया से बचने के लिए बादाम और मुनक्का मिलाकर देना चाहिए।
- इससे बचने के लिए शहद भी दे सकते हैं यह एक महत्वपूर्ण औषधि है।
- लहसुन की कलियों को सरसों के तेल में गर्म करके बच्चे की मालिश करने से भी निमोनिया दूर होती है।
- निमोनिया से बचने के लिए बच्चों के रात को सोते समय सिर पर जैतून के तेल से मालिश करनी चाहिए।
- निमोनिया को रोकने के लिए हायमोफील्स एनफलुएंजा टाईप बी और नियूमोकोकल कोंजूगेट टीके भी लगवाए जाते हैं।
- इसके अलावा पांच हरे पत्ते तुलसी के, तीन ग्राम मिश्री और पांच काली मिर्च को एक साथ मिलाकर पीस लें और इसकी छोटी-छोटी गोलियां बनाकर भी सुबह-शाम खाने से यह बीमारी दूर हो सकती है।
https://youtu.be/yXeLidfOLd8
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