भारत सरकार जहां एक ओर युद्ध में शहीद हुए जवानों को लेकर उनके सम्मान के लिए नई-नई योजनाएं चला रही है। वहीं, दूसरी ओर मेरठ में स्थानीय प्रशासन शहीदों के नाम पत्थरों से भी हटवाने का काम कर रहा है।

  • पूरा मामला मेरठ के थाना कंकरखेड़ा स्थित सैनिक कॉलोनी के रहने वाले कासमपुर निवासी सैनिक निरमोलक सिंह के परिवार का है।
  • शनिवार को मेरठ के डीएम समीर वर्मा के पास 1965 की लड़ाई में पाकिस्तान में शहीद हुए 6 सिख एलआई यूनिट के सिपाही निरमोलक सिंह के भाई सरदार मक्खन सिंह कुछ फरियाद लेकर पहुंचे यहां इस बात की जब जानकारी हुई तो सभी चौंक गए।

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मांग ना पूरी होने पर दी आत्मदाह की चेतावनी

  • शहीद सैनिक के भाई सरदार मक्खन सिंह से uttarpardesh.org के मेरठ संवाददाता सादिक खान ने एक्सक्लूसिव बात की तो उन्होंने बताया कि उनका भाई निरमोलक सिंह 1965 के युद्ध में पाकिस्तान में शहीद हो गया था।
  • जिसके बाद सन 1967 में मेरठ के नौचंदी ग्राउंड में निर्मित शहीद द्वार के सूची पर लगे पत्थर से शहीद सैनिकों के नाम गायब हैं।
  • जिसको लेकर शहीदों के परिवार में साफ तौर पर गुस्सा देखा जा रहा है।
  • शहीद सैनिक के भाई ने बताया कि अगर जैसे पहले सूची पट पर उनके भाई के साथ साथ सभी सैनिकों के नाम थे।
  • वह नाम दोबारा वहां लगाएं जाएं और वह उत्तर प्रदेश सरकार व भारत सरकार से भी अपील करना चाहते हैं कि जल्द से जल्द शहीद सैनिक सैनिकों को सूची में निम्नलिखित सहित सैनिकों के नाम अविलंब शामिल किया जाए।
  • अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह सभी सैनिकों के परिवार को इकट्ठा करके आत्मदाह करने पर मजबूर हो जाएंगे।
  • अब देखना यह होगा कि कब तक सरदार मक्खन सिंह की बात पूरी हो पाती है।

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