देश भर में कबाब के लिए मशहूर टुंडे कबाबी की रौनक एक बार फिर से लौट आई है। टुंडे कबाबी की सबसे फेमस डिश बड़े का कबाब का आनंद लोग बुधवार से फिर उठा रहे हैं। यूपी में भाजपा की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई की। इसके बाद मांस की सप्लाई बंद हुई तो 112 साल पुरानी टुंडे कबाबी की दुकान में भी 23 मार्च से बड़े कबाब मिलना बंद हो गया था।
इसके बाद से टुंडे कबाबी सहित कई नामचीन दुकानों में चिकन और मटन कबाब लोगों को परोसा जा रहा है। टुंडे कबाबी के यहां काम करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि पहले से बिक्री कम हो गई है। वहीं ग्राहकों ने बताया कि बड़े के कबाब में जो स्वाद था वह काफी हद तक कम हो गया है लेकिन नॉनवेज उनकी पसंद है इसलिए यहां वह खाने के लिए आते हैं।
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शुरु हुई बड़े कबाब की बिक्री :
- टुंडे कबाबी की शुरुआत साल 1905 में मोहम्मद उस्मान के दादा ने की थी।
- टुंडे कबाबी के मालिक मोहम्मद उस्मान ने बातचीत में कहा, बड़े का मांस ना मिलने से अभी भी चिकेन और मटन कबाब की बिक्री शुरू की गई है।
- उन्होंने कहा कि चिकन और मटन कबाब भैंसे के कबाब की तुलना में महंगा पड़ता है।
- वहीं खाने वालों का कहना है कि चिकन और मटन कबाब इतना स्वादिष्ट नहीं होता जितना बड़े का कबाब होता है।
हाईकोर्ट ने दिए थे NOC जारी करने के निर्देश :
- गौरतलब है कि पिछले हफ्ते इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को मीट बेचने वालों को लाइसेंस और अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी करने के निर्देश दिए थे।
- साथ ही जिन मीट कारोबारियों के मार्च महीने के बाद से लाइसेंस रीन्यू नहीं हुए उन्हें भी रीन्यू करें।
- उस्मान ने कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने बचूड़खानों को लाइसेंस जारी करने की दिशा में कदम आगे बढ़ाया।
- जिससे बड़े के मीट की सप्लाई पहले जैसे हो सकेगी।
योगी सरकार ने की थी अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई :
- बता दें कि योगी आदित्यनाथ ने सूबे की कमान संभालने के साथ ही अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई की थी।
- जिसके बाद 26 अवैध बूचड़खानों को बंद कराया गया था।
- सरकार की इस कार्रवाई के विरोध में मीट कारोबारियों ने राजधानी लखनऊ समेत राज्य के कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया था।
- सरकार के इस फैसले के बाद राज्य में मीट की भारी किल्लत हो गई।
- बड़े का मीट नहीं मिलने के कारण टुंडे कबाबी को एक दिन बंद भी रखना पड़ा था।
- हालांकि अगले दिन से बड़े कबाब की जगह चिकन और मटन कबाब मिलने लगा था।
- हालांकि सरकार की ओर से कहा गया था कि जिनके पास लाइसेंस है, उन्हें डरने की जरुरत नहीं है।
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