राजधानी के बक्शी का तालाब थानाक्षेत्र स्थित मां चंद्रिका देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ की लापरवाही का मामला प्रकाश में आया है। यहां एक प्रसूता और उसके घरवालों ने निजी अस्पताल के स्टाफ पर लापरवाही और डिलीवरी के दौरान पिटाई का आरोप लगाया है।
- प्रसूता का आरोप है कि स्टाफ ने उसे इतना पीटा कि उसके बच्चे की कोख में ही मौत हो गई। अस्पताल में परिजनों ने नवजात की मौत पर हंगामा किया।
- बीकेटी पुलिस तहरीर मिलने के बाद भी घटना को जांच के बाद सुलटवाने में लगी रही।
- हालांकि इस मामले में थाना प्रभारी बीकेटी ने कहा कि मामले में सीएमओ कार्यालय से अगर डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखित आदेश मिलेगा तो केस दर्ज कर कार्रवाई की जायेगी।
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यह है पूरा मामला
- जानकारी के मुताबिक, इटौंजा के जमखनवा गांव की गर्भवती पिंकी को प्रसव पीड़ा होने पर उसके पति रवीन्द्र कुमार ने दो अप्रैल को इसी अस्पताल में डिलीवरी के लिए भर्ती करवाया था।
- आरोप है कि प्रसूता को जब स्टाफ लेबर रुम में ले गया तो वहां पर उसके हाथपैर बांधकर उसकी डिलीवरी करवाई गई।
- दर्द से कराह रही प्रसूता सिर और पेट पर पिटाई की गई।
- जिससे नवजात की पेट में ही मौत हो गई।
- घटना की सूचना बाहर परिजनों को मिलने पर परिजनों ने हास्पिटल में हंगामा किया। प्रसूता को डिस्चार्ज करवाने के बाद डाॅक्टर के खिलाफ बीकेटी पुलिस से शिकायत की है। पुलिस ने मामले की जांच शुरु कर दी है।
जानवरों जैसा किया व्यव्हार
- प्रसूता का आरोप है कि हास्पिटल स्टाफ ने उसके साथ जानवरो जैसा व्यवहार किया।
- उसके हाथपैर उपर खींचकर बांध दिये गये।
- डाॅक्टर ने उसपर आरोप लगा दिया कि तुम्हारे पैर चलाने के कारण बच्चा मर गया।
- लेकिन जब प्रसूता ने पिटाई की शिकायत बाहर परिजनों से करने की बात कही तो उसे डॉक्टर ने धमकी दी कि अगर बताया तो अंजाम बुरा होगा।
वंदना की जांच रिपोर्ट पर पिंकी की डिलीवरी?
- हास्पिटल स्टाफ ने प्रसूता की पिटाई की है अथवा नहीं यह तो पुलिस की जांच रिपोर्ट में खुलासा होगा।
- लेकिन यहां पर लापरवाह स्टाफ और डॉक्टर किसी वंदना नाम की महिला की जांच रिपोर्ट को देखकर प्रसूता पिंकी की डिलीवरी करवा रहे थे।
- हास्पिटल के द्वारा परिजनों को सौपी गई केस फाइल में वंदना की रिपोर्ट कॉपी लगी हुई है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
- इस मामले में डिप्टी सीएमओ डॉ. राजेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि मामला हमारे संज्ञान में है।
- चिकित्सा अधीक्षक से इस बारे में बात की जाएगी और जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी।
- वहीं अस्पताल के कर्मचारी एनके विश्वकर्मा ने बताया कि महिला अस्पताल प्रशासन के प्रति कोई खुन्नस निकाल रही है।
- उन्होंने कहा कि कोई अपने अस्पताल में इस तरह के हरकत नहीं कर सकता।
- प्रसव के दौरान पीड़ा तो सबको होती है।
- उनका कहना है कि महिला प्रसव के दो घंटे बाद ही डिस्चार्ज का दबाव बना रही थी।
- लेकिन नियम के अनुसार डिलीवरी के 24 घंटे बाद तक डिस्चार्ज नहीं किया जाता क्योकि कहीं ब्लीडिंग या और भी समस्या हो सकती है।
- उन्होंने कहा कि इलाज के सारे दस्तावेज उनके पास लिखित तौर पर हैं उनमें महिला के हस्ताक्षर भी हैं।
- मामले की जांच करवा ली जाये दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा।