प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत जिन गावों को सांसदों ने गोद लिया है उन गावों की हकीकत जानने के लिए uttarpradesh.org की टीम निकली हुई है। इन गावों में क्या-क्या मूलभूत सुविधाओं का अभाव है और गांव को गोद लेने के बाद कितना विकास हुआ है। इसकी रियलिटी हम आप को गांव के रहने वाले लोगों से ही सुनवायेंगे। ताकि आप भी जान सकें कि गांव को गोद लेने की इन सांसदों ने घोषणा तो कर दी लेकिन गांव में रहने वाले लोग समस्याओं को लेकर कराह रहे हैं परंतु इनकी सुनने वाला कोई नहीं है।
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क्या है गांव का हाल?
- परेहटा गांव राजधानी से करीब 35 किलोमीटर दूर गोसाईगंज जेल के निकट स्थित है।
- इस गांव के अलावा इसके जगन्नाथ गंज, उम्मेद खेड़ा, रामबख्श खेड़ा और स्वामी खेड़ा चार मजरे हैं।
- परेहटा ग्राम पंचायत में करीब 10000 की आबादी है और कुल 2450 वोटर हैं।
- इस गांव के ग्राम प्रधान छंगालाल हैं जो गांव से करीब एक किलोमीटर दूर पड़ने वाले मजरे रामबख्श खेड़ा में रहते हैं।
- छंगालाल को गांव वालों ने पहली बार चुना है जो अपनी ग्रामसभा का प्रधान गांव की जनता को मानते हैं।
- इस ग्राम सभा की पूर्व प्रधान रूबी तिवारी रहीं हैं जिन्होंने भी खास कोई विकास नहीं किया।
- वैसे तो छंगालाल का दवा है आने वाले सालों में काफी विकास करेंगे और एक साल में काफी विकास भी किया है।
- लेकिन गांव का कितना विकास हुआ है यह हकीकत हम आप को दिखाते और सुनाते हैं।
गांव के सारे तालाब सूखे
- इस गांव में भले ही घुसते ही मुख्यमार्ग आप को चमचमाता मिल जायेगा।
- लेकिन गांव के जब अंदर प्रवेश करेंगे तो हालत देखकर पसीना निकल आयेगा।
- हमारी टीम जब गांव में दाखिल हुई तो लोगों ने समस्याओं का अम्बार लगा दिया।
- इस गांव में चार तालाब तो हैं लेकिन उनमें पानी नहीं यह सभी सूखे पड़े हुए हैं।
- गांव में कुछ गलियों में खड़ंजा भी पड़ा है लेकिन इनकी ईंट चोरी हो गई है।
- कुछ मोहल्लों में निकलने की भी लोगों को परेशानी हो रही है।
पीने को पानी नहीं, मचा हाहाकार
- इस गांव में करीब डेढ़ दर्जन से अधिक इंडिया मार्का सरकारी हैंडपंप लगे हैं।
- लेकिन किसी नल से पानी नहीं निकलता दिखाई देगा।
- गरीब लोगों का आरोप है कि ग्राम प्रधान से कई बार नल सही कराने के लिए कहा लेकिन कोई सुनने वाला नहीं।
- बच्चों को नहलाने, पीने और कपड़े धोने के लिए काफी दूर से पानी भरकर लाना पड़ता है।
- गांव में करीब तीन कुएं भी हैं लेकिन सभी सूखे हैं।
- गांव के आसपास नहर ना होने से खेतों में सिंचाई की दिक्कत भी है।
- साथ में पशुओं को पानी भी बहुत कम ही नसीब हो रहा है।
गांव में कभी नहीं होती सफाई
- भले प्रदेश सरकार सफाई कर्मचारियों को वेतन में मोटी रकम दे रही हो लेकिन यह सफाईकर्मी गावों में जाते तो हैं लेकिन सफाई नहीं बल्कि अपना चेहरा दिखाने जाते हैं।
- ग्रामीणों में रूपरानी, कुसमा, विमल प्रकाश, राजेश्वरी ने आरोप लगाया है कि गांव में सफाईकर्मी के रूप में अशोक की नियुक्ति हुई है लेकिन वह कभी सफाई करने नहीं आता।
- गांव में यह सफाईकर्मी केवल अपना चेहरा दिखाकर प्रधान की मदद से फर्जी उपस्तिथि दिखाकर सरकार से वेतन ले रहा है।
- गांव वालों का कहना है कि मायावती ने इस गांव को गोद तो ले लिया है लेकिन समस्याएं दूर होना दूर की कौड़ी नजर आ रही है।
बिजली के लिए खम्भे तक नहीं
- गांव में भले ही कुछ घरों में बिजली आ रही हो लेकिन कुछ घरों में अंधेरे में ही रातें गुजारनी पड़ती हैं।
- रातें तो अंधेरे में गुजर ही रही हैं इन लोगों को दिन में भी लाईट नसीब नहीं होती।
- मज़बूरी से घिरे करीब एक दर्जन परिवार के पचास लोग भीषण गर्मी में बिलबिला रहे हैं परंतु सुनने वाला कोई नहीं।
- इस मोहल्ले में रहने वाले बसंत, मोहिकम, मनोहर, परमेश्वर, कुंजन, बुद्धू, और मनीराम ने बताया कि उनके मोहल्ले में बिजली तो दूर खम्भे तक नहीं हैं।
- इन लोगों का कहना है कि इसकी कई बार शिकायत भी की जा चुकी है लेकिन सब बजट का अभाव बताकर टाल देते हैं।
राशन भी नहीं होता नसीब
- गांव में कुछ गरीब ऐसे हैं जिनका राशन कार्ड भी नहीं बना है।
- यहां एक तालाब के किनारे रहने वाली शांति ने बताया उनके परिवार में राशनकार्ड नहीं है।
- खाने के लिए राशन की भी बड़ी किल्ल्त हो रही है।
- गांव में कुछ गरीब परिवार ऐसे हैं जिनकी दिनचर्या सुनकर आप भी भौचक्के रह जायेंगे।
- यह परिवार भर पेट भोजन को भी तरस रहे हैं।
- इस गांव में कुछ लोगों को तो कॉलोनी और शौचालय मिले लेकिन कुछ को तो यह भी नसीब नहीं हुआ।
पंचायत भवन बना पशुओं का अड्डा
- गांव में बना पंचायत भवन पशुओं का अड्डा बना हुआ है।
- गांव वालों की पंचायत के लिए बने इस भवन में भैंसे और बकरियां बांधी जाती हैं।
- पंचायत भवन में गंदगी और बदबू इतनी है कि आप एक मिनट नहीं रुक पाएंगे।
- यहां कंडे पाथे जाते हैं और गंदे पानी का निकास भी नहीं है।
- गांव के बाहर एक मंदिर भी है इसमें शाम होने के बाद लोग थोड़ी देर के लिए मन शांत करने के लिए चले जाते हैं।
- गांव में रहने वाले एक युवा तौशीफ सिद्दीकी ने बताया कि गांव का हाल ख़राब है कभी सफाई नहीं होती।
- गन्दगी होने से मच्छरों और संक्रमण का भी खतरा रहता है।
पढ़ाई का स्तर काफी खराब
- गांव के बाहर प्राथमिक विद्यालय और पूर्व माध्यमिक विद्यालय है।
- शिक्षा के इस मंदिर में बच्चों भी सुरक्षित नहीं हैं।
- स्कूल की बाउंड्री टूटी है वहीं सरकारी नलों की भी स्थिति सही नहीं है।
- प्राथमिक विद्यालय रामबक्श खेड़ा के ऊपर से हाई टेंशन लाइन हटाने के लिए कोई प्रयास नहीं हुए।
- गांव में रहने वाले एक बुजुर्ग अध्यापक ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि स्कूलों में पढ़ाई ही नहीं होती है।
- टीचर पढ़ाने नहीं बल्कि बच्चों का भविष्य खराब करने आ रहे हैं और मोटा वेतन भी ले रहे हैं।
- उनसे जब कैमरे के आगे बोलने के लिए कहा गया तो उन्होंने कहा कि एक अध्यापक होने के नाते विरोध नहीं कर सकता।
- गांव में भारतीय जनता पार्टी के जिला महामंत्री राजकुमार पांडेय रहते हैं।
- उन्होंने बताया कि पिछली सपा सरकार की विधायिका चंद्रा रावत ने कोई विकास नहीं किया।
- आरोप है कि सपा सरकार में पैसे की काफी बंदरबांट हुई इसके चलते विकास नहीं हो पाया।
- भाजपा नेता का कहना है कि इस क्षेत्र के सांसद कौशल किशोर हैं और यूपी में सरकार भी भाजपा की है।
- उम्मीद है कि योगी सरकार काफी विकास करेगी।
क्या है सांसद आदर्श गांव
- बता दें कि 11 अक्टूबर 2014 को सांसद आदर्श गांव योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।
- इसके बाद से सांसदों ने गांव गोद लेने शुरू किये।
- सांसद आदर्श ग्रामों के विकास कार्यों की जमीन हकीकत परखने के लिए हमारी टीम में संवाददाता के साथ सीनियर फोटो जनर्लिस्ट ‘सूरज कुमार’ ने बसपा सुप्रीमो द्वारा गोद लिए गए गांव परेहटा मोहनलालगंज का दौरा किया इसकी पूरी हकीकत हम आप के सामने लाये।
- इन गावों में पानी, बिजली से लेकर स्कूल और आंगनबाड़ी केन्द्र, नलकूप सहित कई सुविधाओं से ग्रामीण कोसों दूर हैं।
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