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पिछले साल से अभी तक उत्तर प्रदेश में ही कई ट्रेन हादसे (train accidents) हो चुके हैं। ये हादसे भी काफी भयानक हुए इनमें कई 100 से अधिक लोगों की जान चली गई, जबकि सैकड़ों लोग घायल भी हुए। इन ट्रेन हादसों पर किसी ने आतंकी साजिश बताया तो किसी ने कोई और कारण बताया।
वकील पर पत्नी को जहर देकर हत्या करने का आरोप
- ट्रेन हादसे होने के बाद अक्सर राजनीति भी शुरू हो जाती है।
- संकट की इस घड़ी में मदद कम बयानबाजी ज्यादा होती है।
- लेकिन इन रेल हादसों के पीछे एक सबसे बड़ी वजह है जो हम आप को बता रहे हैं।
अगले पेज पर पढ़िए ट्रेन हादसों की खास वजह:
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अब तक कई हो चुके हादसे
- सबसे पहले हम आप को कुछ प्रमुख रेल हादसों (train accidents) के बारे में जानकारी दे दें ताकि आप थोड़ा सा अपडेट हो जाएं।
- 13 फरवरी 2015 को बेंगलुरू से एर्नाकुलम जा रही एक एक्सप्रेस ट्रेन की आठ बोगियां होसुर के निकट पटरी से उतर गईं, इसमें 10 लोगों की मौत।
- 05 अगस्त 2015 को हरदा के पास कामियानी एक्सप्रेस और जनता एक्सप्रेस पटरी से उतर गई, इसमें 29 यात्रियों की मौत।
- 21 सितंबर 2016 को फैजाबाद जंक्शन के पूर्वी आउटर सिग्नल के पास हावड़ा-देहरादून एक्सप्रेस के पांच डिब्बे पटरी से उतर गए थे। गनीमत रही कि ट्रेन की स्पीड कम होने की वजह से कोई नुकसान नहीं हुआ था।
#Utkalexpress : घटना स्थल पर राहत और बचाव कार्य जारी! @RailMinIndia @sureshpprabhu #Muzaffarnagar pic.twitter.com/w1ATWzMJ0K
— UttarPradesh.ORG News (@WeUttarPradesh) August 19, 2017
उत्कल एक्सप्रेस: मकान के घुसी बोगी, 23 की मौत
- 20 नवंबर 2016 को कानपुर देहात के निकट पुखरायां स्टेशन पर पटना से इंदौर जा रही पटना-इंदौर एक्सप्रेस (19321) की 14 बोगियां अचानक पटरी से उतर गईं। इस भीषण ट्रेन हादसे में 100 लोगों की मौत हो गई है जबकि 350 से अधिक लोग घायल हो गए।
- 26 जून 2017 को चारबाग रेलवे स्टेशन के आगे मवैया क्रासिंग के पास एक सुपरफास्ट एक्सप्रेस कपलिंग खुलने से दो हिस्सों में बंट गई। इससे ट्रेन में बैठे यात्रियों के बीच अफरा-तफरी मच गई थी। कपलिंग खुलने से इंजन और डिब्बे एक दूसरे से अलग हो गए और काफी दूर निकल गए थे। हालांकि इस घटना में कोई घायल नहीं हुआ।
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— UttarPradesh.ORG News (@WeUttarPradesh) August 19, 2017
- 26 जून 2017 को मुजफ्फरपुर में कुढ़नी व तुर्की के बीच रेलवे गुमटी संख्या 18 पर छपरा-टाटा एक्सप्रेस बड़े हादसे का शिकार होने से बच गई। यहां तेज रफ्तार ट्रेन से सिग्नल ठीक करने के लिए लगाई गई लोहे की सीढ़ी गिरकर टकरा गई। इस हादसे के दौरान जनरल कोच की तीन बोगियों में खिड़की और गेट पर बैठे एक दर्जन से अधिक यात्री लोहे की सीढ़ी टकराने से बुरी तरह घायल हो गए। इस घटना की जानकारी उस वक्त हुई जब ट्रेन मुजफ्फरपुर के तुर्की स्टेशन पर रुकी। हादसे में घायल यात्रियों ने उपचार के लिए रेलवे स्टेशन पर जमकर हंगामा किया था।
#Utkalexpress : ट्रेन के डिब्बे काटकर यात्रियों को निकाल रहे बचाव कर्मी! @RailMinIndia @sureshpprabhu #Muzaffarnagar pic.twitter.com/YdbByOZ5yo
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- 29 जून 2017 को फ़ैजाबाद जिले में दून एक्सप्रेस डीरेल हो गई, हलाकि इस घटना में कोई घायल नहीं हुआ।
- 19 अगस्त 2017 को मुजफ्फरनगर जिले के खतौली रेलवे स्टेशन के पास उत्कल कलिंग एक्सप्रेस अचानक डिरेल (train accidents) हो गई। घटना में आधिकारिक रूप से 23 लोगों की मौत हो गई। जबकि 100 से अधिक लोग घायल हो गए।
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ये है वो खास वजह
- इन ट्रेन हादसों के पीछे कारण यह निकल कर सामने आ रहा है कि वर्षों से रेल पटरियों को बदला नहीं गया है।
- रेलवे अधिकारियों और यात्रियों की अगर माने तो इन पुरानी पटरियों पर ट्रेनें 100 से ज्यादा की स्पीड से दौड़ती हैं।
- खटारा पटरियां होने की वजह से अक्सर ट्रेन हादसे हो रहे हैं।
- उदाहरण के तौर पर इलाहबाद के नैनी रेल मार्ग पर काफी ट्रेन हादसे हो चुके हैं।
- लेकिन जब से इधर की पटरियां बदल दी गईं उसके बाद से ट्रेन हादसे नहीं हुए।
- खतौली ट्रेन हादसे में भी पटरी ख़राब होने के बावजूद उत्कल एक्सप्रेस 100 की स्पीड में दौड़ रही थी।
- नतीजा ये हुआ कि करीब 450 स्लीपर दो भागों में बंट गए।
- हादसा इतना भयंकर था कि ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों की सांसे थम गईं।
- जिनकी जान गई उनकी तो गई लेकिन जो जिंदा थे वह कोच से बाहर आने के लिए दुआ कर रहे थे।
- फिलहाल अभी तक रेलवे ट्रैक (train accidents) को दुरुस्त करने का काम चल रहा है।
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