यूपी के शामली जिले में फिर एक बार हमारी खबर का बड़ा असर हुआ है। दरअसल एक गरीब परिवार की ‘श्रवण कुमार बेटी‘ अपने नेत्रहीन माता-पिता को यात्रा कराने घोड़े और बग्घी पर लेकर गई थी। लेकिन यात्रा के दौरान उसके घोड़े को किसी ने चोरी कर लिया। इसके बाद इस बेटी ने हिम्मत नहीं हारी और खुद बग्घी खींचकर अपने माता-पिता को लेकर घर वापस आ रही थी। (shamli district administration)

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  • वहीं जिला प्रशासन की तरफ से खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई गई है।
  • जिला प्रशासन के अधिकारियों ने गरीब परिवार के लिए ग्राम प्रधान से बात की है कि उसे रहने के लिए घर और भी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।
  • बताया जा रहा है कि पुलिस की तरफ से इस गरीब बेटी को सुरक्षा भी प्रदान की गई है।
  • साथ ही स्थानीय लोगों ने इस बेटी की मदद के लिए हाथ बढ़ाये और उसे कुछ नगद पैसे देकर सहायता की।

lady shrawan kumar in shamli

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ये है कलयुग की श्रवण कुमार बेटी

  • ये तो हो गई पुराणों की कहानी पर कलयुग में भी पिछले महीने कावड़ यात्रा के दौरान आप ने कई श्रवण कुमार के किस्से सुने होंगे लेकिन यूपी के शामली जिले की एक बेटी ने भी श्रवणकुमार का रोल अदा किया।
  • शामली में जो तस्वीरें देखने को मिली वो वाकई चौंकाने वाली थीं।
  • बग्गी में अपने नेत्रहीन माता-पिता को कंधो के सहारे खिंचती ये बेटी ही है जो 100 किलोमीटर से ज्यादा अपने नेत्रहीन माँ बाप को बग्गी में खीचकर अपने घर तक लेकर जा रही है।
  • क्योंकि इनके हालात और समय ने इन्हें ऐसा करने पर मजबूर कर दिया।
  • इस बेटी के पास ना तो इतने पैसे हैं कि वो अपने माँ-बाप को मोटरगाड़ी से लेकर जा सकें।
  • बस है तो सिर्फ इनके पास हिम्मत और अपने माँ बाप के प्रति सेवा भाव की भावना।
  • आइये हम आपको पूरा मामला समझाते है। (shamli district administration)

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तंगहाली से जूझ रहा है गरीब परिवार

  • आपको बता दें कि तस्वीरें शामली के थानाभवन क्षेत्र की हैं। (shamli district administration)
  • दरअसल जनपद बागपत के निवाड़ा गांव के नेत्रहीन सलमू का परिवार तंगहाली से जूझ रहा है।
  • कहते है कि मुसीबत जब दस्तक देती है तो चारों तरफ से मार पड़ती है।
  • ऐसा ही सलमू के परिवार के साथ भी हुआ।
  • सलमू की छोटी बेटी कांवड़ यात्रा देखने के दौरान गुम हो गई थी।
  • काफी तलाश किया, लेकिन कोई खबर नहीं लग सकी।
  • किसी ने सलमू को बताया कि उनकी बेटी कावंड यात्रा में हरिद्वार पहुंच गईं होगी।
  • लेकिन सलमू नेत्रहीन होने के कारण न रास्ता जानता था और न ही उसके पास इतना पैसा हीं था।
  • कई बार पुलिस थाने और जिम्मेदारों से गुहार लगाई, लेकिन कोई हल नहीं निकल सका।

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बेटी के गम में आधा हो गया सलमू

  • बेटी के गम में सलमू आधा हो गया।
  • सलमू की बेटी मीना व मोटी की चिंता भी उसे सताती थी।
  • ऐसे में सलमू की बेटियों ने बापू के दुख और बहन के जुदा होने की पीड़ा को दूर करने के लिए घोड़ा बग्घी का सहारा लिया।
  • नेत्रहीन बापू व दोनों बेटियां छोटे भाईं के संग हरिद्वारा ढूंढने चल निकले।

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बग्घी के खच्चर को कर लिया चोरी

  • लेकिन अभी मुसीबतें कम नहीं हुई।
  • यहां बग्घी के खच्चर को किसी ने चोरी कर लिया।
  • पैसे खत्म और खच्चर चोरी और ऊपर से नेत्रहीन पिता की गांव वापसी की जिम्मेदारी।
  • खुद्दार बेटियों ने किसी के आगे हाथ फैलाने के बजाय खुद ही बग्घी को खींचने का फैसला किया।
  • दृढ़ इच्छाशक्ति, बुलंद हौसले और ईश्वर पर विश्वास बेटियों को हिम्मत देता रहा।
  • शामली से होकर बग्घी खींचती यह 14 साल की बिटियां गुजरी तो लोगों ने दांतों तले अंगुली दबा ली।
  • सभी की जुबां पर एक ही बात थी कि बेटी नहीं ये बेटा है। (shamli district administration)

7 दिन में तय की 110 किमी यात्रा

  • यह तो बापू की शान और अभिमान है।
  • बकौल मीना 110 किमी की यह दूरी सात दिन में तय की।
  • दोनों बहनों ने बारी-बारी से रूक-रूकर बग्घी खींची।
  • खाने पीने का सामान साथ था, भूख लगती तो कही साइड में रोकर पकाते और फिर आराम कर चल पड़ते।
  • अभी गांव तक का सफर 70 किमी ओर बाकी है।
  • यह सिलसिला गांव तक पहुंचने तक जारी रहेगा।

इनके कब आएंगे अच्छे दिन

  • इस परिवार के जेहन में आज भी ये सवाल कौंध रहा है कि उनके अच्छे दिन कब आएंगे।
  • क्योंकि सैलून पहले भी उनके हालात ऐसे ही थे और आज भी ऐसे ही हैं।
  • ‘बेटी बचाओ-बेटी बढ़ाओ’ के नारे से देश भर प्रचंड बहुमत से मोदी सरकार के बाद आने के बाद दिन बदल जाने की उमीद इस परिवार को भी रही होगी।
  • किसी सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा ये इस परिवार ने भी सोचा होगा।
  • लेकिन राशन कार्ड, पेंशन और रोजगार के साथ ही बेटियों की शादी को मदद मिलेगी ये सपना आज भी इनके लिए सपना ही है।
  • किसी भी सरकारी योजना का लाभ आज भी इस परिवार को नहीं नहीं मिला।
  • अंधेरी दुनिया में उजाला उनकी बेटियां ही भर रही है।
  • एक बेटी को खोने का पहाड़ सा दुख तो पहले ही है कि न जाने उनकी बेटी किस हालत में होगी।
  • अब सरकार इस परिवार की अगर मदद करें तो शायद इनकी खोई हुई खुशिया लौटकर वापस आ जाए। (shamli district administration)

https://youtu.be/SLM3UBC3KRM

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