आप ने साहित्यों में सतयुग के श्रवण कुमार की कहानी सुनी होगी। अगर नहीं सुनी है तो हम आप को संक्षेप में बता रहे हैं। पुराणों में कहा गया है कि श्रवण कुमार के माता-पिता अंधे थे। लेकिन श्रवण कुमार श्रद्धापूर्वक उनकी सेवा करते थे। एक बार उनके माता-पिता की इच्छा तीर्थयात्रा करने की हुई। उनके पास कोई साधन नहीं था तो श्रवण कुमार ने कांवर बनाई। (shravan kumar girl)
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- श्रवण कुमार उन्हें उन्हें तीर्थ स्थलों की यात्रा कराने के लिए कंधे पर कावर लेकर निकल पड़े।
- एक दिन वे अयोध्या के समीप वन में पहुंचे यहां रात्रि के समय श्रवण के माता-पिता को प्यास लगी।
- श्रवण कुमार पानी के लिए अपना तुंबा लेकर सरयू तट पर गए।
- उसी समय महाराज दशरथ भी वहां शिकार (आखेट) के लिए आए हुए थे।
- श्रवण कुमार ने जब पानी में अपना तुंबा डुबोया, दशरथ ने समझा कोई हिरन जल पी रहा है।
- उन्होंने शब्दभेदी बाण छोड़ दिया। बाण श्रवण कुमार को लगा।
- बाण लगते ही उनकी मृत्यु हो गई लेकिन इस दौरान श्रवण कुमार ने कहा कि मुझे अपनी मृत्यु का दु:ख नहीं, किंतु माता-पिता के लिए बहुत दु:ख है।
- आप उन्हें जाकर मेरी मृत्यु का समाचार सुना दें और जल पिलाकर उनकी प्यास शांत करें।
- ये बात सुनकर जब राजा दशरथ श्रवण कुमार के माता-पिता के पास गए और उन्हें यह दुखद समाचार सुनाया तो नेत्रहीन माता पिता ने दशरथ को शाप दे दिया।
- उन्होंने कहा कि जिस तरह हम अपने पुत्र वियोग में मर रहे हैं वैसे ही तुम भी पुत्र वियोग में मरोगे। इसके बाद राजा दरशरथ को भी पुत्र वियोग हुआ और भगवान श्री राम को 14 वर्ष का बनवास हुआ इस दौरान दशरथ ने प्राण त्याग दिए थे। (shravan kumar girl)
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ये है कलयुग की श्रवण कुमार बेटी
- ये तो हो गई पुराणों की कहानी पर कलयुग में भी पिछले महीने कावड़ यात्रा के दौरान आप ने कई श्रवण कुमार के किस्से सुने होंगे लेकिन यूपी के शामली जिले की एक बेटी ने भी श्रवणकुमार का रोल अदा किया।
- शामली में जो तस्वीरें देखने को मिली वो वाकई चौंकाने वाली थीं।
- बग्गी में अपने नेत्रहीन माता-पिता को कंधो के सहारे खिंचती ये बेटी ही है जो 100 किलोमीटर से ज्यादा अपने नेत्रहीन माँ बाप को बग्गी में खीचकर अपने घर तक लेकर जा रही है।
- क्योंकि इनके हालात और समय ने इन्हें ऐसा करने पर मजबूर कर दिया।
- इस बेटी के पास ना तो इतने पैसे हैं कि वो अपने माँ-बाप को मोटरगाड़ी से लेकर जा सकें।
- बस है तो सिर्फ इनके पास हिम्मत और अपने माँ बाप के प्रति सेवा भाव की भावना।
- आइये हम आपको पूरा मामला समझाते है।
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तंगहाली से जूझ रहा है गरीब परिवार
- आपको बता दें कि तस्वीरें शामली के थानाभवन क्षेत्र की हैं। (shravan kumar girl)
- दरअसल जनपद बागपत के निवाड़ा गांव के नेत्रहीन सलमू का परिवार तंगहाली से जूझ रहा है।
- कहते है कि मुसीबत जब दस्तक देती है तो चारों तरफ से मार पड़ती है।
- ऐसा ही सलमू के परिवार के साथ भी हुआ।
- सलमू की छोटी बेटी कांवड़ यात्रा देखने के दौरान गुम हो गई थी।
- काफी तलाश किया, लेकिन कोई खबर नहीं लग सकी।
- किसी ने सलमू को बताया कि उनकी बेटी कावंड यात्रा में हरिद्वार पहुंच गईं होगी।
- लेकिन सलमू नेत्रहीन होने के कारण न रास्ता जानता था और न ही उसके पास इतना पैसा हीं था।
- कई बार पुलिस थाने और जिम्मेदारों से गुहार लगाई, लेकिन कोई हल नहीं निकल सका।
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बेटी के गम में आधा हो गया सलमू
- बेटी के गम में सलमू आधा हो गया।
- सलमू की बेटी मीना व मोटी की चिंता भी उसे सताती थी।
- ऐसे में सलमू की बेटियों ने बापू के दुख और बहन के जुदा होने की पीड़ा को दूर करने के लिए घोड़ा बग्घी का सहारा लिया।
- नेत्रहीन बापू व दोनों बेटियां छोटे भाईं के संग हरिद्वारा ढूंढने चल निकले।
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बग्घी के खच्चर को कर लिया चोरी
- लेकिन अभी मुसीबतें कम नहीं हुई।
- यहां बग्घी के खच्चर को किसी ने चोरी कर लिया।
- पैसे खत्म और खच्चर चोरी और ऊपर से नेत्रहीन पिता की गांव वापसी की जिम्मेदारी।
- खुद्दार बेटियों ने किसी के आगे हाथ फैलाने के बजाय खुद ही बग्घी को खींचने का फैसला किया।
- दृढ़ इच्छाशक्ति, बुलंद हौसले और ईश्वर पर विश्वास बेटियों को हिम्मत देता रहा।
- शामली से होकर बग्घी खींचती यह 14 साल की बिटियां गुजरी तो लोगों ने दांतों तले अंगुली दबा ली।
- सभी की जुबां पर एक ही बात थी कि बेटी नहीं ये बेटा है। (shravan kumar girl)
7 दिन में तय की 110 किमी यात्रा
- यह तो बापू की शान और अभिमान है।
- बकौल मीना 110 किमी की यह दूरी सात दिन में तय की।
- दोनों बहनों ने बारी-बारी से रूक-रूकर बग्घी खींची।
- खाने पीने का सामान साथ था, भूख लगती तो कही साइड में रोकर पकाते और फिर आराम कर चल पड़ते।
- अभी गांव तक का सफर 70 किमी ओर बाकी है।
- यह सिलसिला गांव तक पहुंचने तक जारी रहेगा।
इनके कब आएंगे अच्छे दिन
- इस परिवार के जेहन में आज भी ये सवाल कौंध रहा है कि उनके अच्छे दिन कब आएंगे।
- क्योंकि सैलून पहले भी उनके हालात ऐसे ही थे और आज भी ऐसे ही हैं।
- ‘बेटी बचाओ-बेटी बढ़ाओ’ के नारे से देश भर प्रचंड बहुमत से मोदी सरकार के बाद आने के बाद दिन बदल जाने की उमीद इस परिवार को भी रही होगी।
- किसी सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा ये इस परिवार ने भी सोचा होगा।
- लेकिन राशन कार्ड, पेंशन और रोजगार के साथ ही बेटियों की शादी को मदद मिलेगी ये सपना आज भी इनके लिए सपना ही है।
- किसी भी सरकारी योजना का लाभ आज भी इस परिवार को नहीं नहीं मिला।
- अंधेरी दुनिया में उजाला उनकी बेटियां ही भर रही है।
- एक बेटी को खोने का पहाड़ सा दुख तो पहले ही है कि न जाने उनकी बेटी किस हालत में होगी।
- अब सरकार इस परिवार की अगर मदद करें तो शायद इनकी खोई हुई खुशिया लौटकर वापस आ जाए। (shravan kumar girl)
https://youtu.be/SLM3UBC3KRM