एक तरफ यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी प्रदेश में कानून-व्यवस्था का राज कायम करने का दावा कर रहे हैं। वह मंत्रियों से लेकर अधिकारियों को भी सही ढंग से काम करने की नसीहत दे रहे हैं। लेकिन उनका निर्देश पुलिस के ठेंगे पर है जो अपनी हरकत से बाज नहीं आ रही है।
पुलिस पर फर्जी गुडवर्क का आरोप
- उत्तर प्रदेश पुलिस लगातार अपने कारनामों की वजह से चर्चा में रहती है।
- ताजा मामला आगरा जिले का है यहां पुलिस अधिकारियों के सामने अपने नंबर बढ़ाने के लिए दागदार वर्दीधारियों ने एक फर्जी गुडवर्क करके एक बेगुनाह को डकैत बताकर जेल भेजने का मामला प्रकाश में आया है।
- पुलिस पर आरोप है कि उसने जुर्म कबूल करने के लिए बेगुनाह के मुंह में करंट लगाकर थर्ड डिग्री टार्चर किया इससे पीड़ित का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है।
- पीड़ित के घरवालों का कहना है कि पुलिस को जो कानून की वर्दी लोगों की रक्षा के लिए दी जाती है।
- वह इसे पहनते ही राक्षसों का रूप धारण करके अपराधियों के डर से बेगुनाहों को जेल भेज रहे हैं।
सीसीटीवी कैमरे ने खोली गुडवर्क की पोल
- पुलिस के इस कथित गुड वर्क की पोल सीसीटीवी कैमरे की फुटेज ने खोल दी है।
- पुलिस ने अपनी ओर से दर्ज मुकदमें में दो युवकों को बल्केश्वर क्षेत्र से डकैती की योजना बनाते हुए पकड़ना दिखाया था।
- जबकि उसमें से एक युवक को सुबह ही अब्बू लाला दरगाह के पास से पुलिस ने हिरासत में लिया था।
- यह पूरा घटनाक्रम कैमरे में कैद हो चुका था, इस घटनाक्रम के बाद पीड़ित युवक के परिजनों ने तत्काल ही पुलिस अधिकारियों को फेक्स भी कर दिया।
- इसके बाद भी पुलिस ने युवक को डकैत मानते हुए जेल तक भेज दिया।
- लेकिन अब सीसीटीवी फुटेज सामने आने के बाद पुलिस के होश उड़ गए हैं।
- आगरा के कप्तान ने जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है।
यह है पूरा मामला
- बता दें कि न्यू आगरा पुलिस ने 4 अप्रैल को एक गुडवर्क किया।
- इसमें दरोगा मनोज शर्मा की ओर से एक मुकदमा दर्ज किया गया।
- जिसमें दिखाया गया कि बल्केश्वर में वह गश्त कर रहे थे, इस दौरान उन्होंने 11:35 पर दो युवकों को देखा जब उन्होंने लोगों को रोकना चाहा तो वह दोनों भागने लगे लेकिन उन्हें पकड़ लिया गया।
- उनके नाम अनिल और इरशाद हैं, दोनों से लूट के मोबाइल मिलना बताया गया।
- पुलिस ने डकैती प्रभावित क्षेत्र अधिनियम के तहत दोनों पर कार्यवाही कर दोनों को जेल भेज दिया।
क्या कहता है पीड़ित परिवार
- वहीं, इरशाद के परिजनों ने बताया कि उनका अपने रिश्तेदारों से विवाद चल रहा है।
- उनके पास थाने के सिपाही आते रहते हैं।
- सिपाहियों ने उनके द्वारा लिखाये गए मुकदमे में समझौता करने का उन पर दबाव डाला।
- जब उन्होंने समझौते से मना किया तो वह लोग जल्द ही देख लेने की धमकी दे गए।
- 4 अप्रैल की सुबह 11:35 पर इरशाद को न्यू आगरा पुलिस ने अबू लाला की दरगाह से गिरफ्तार किया।
- इरशाद के परिजनों को पहले से ही डर था कहीं पुलिस उसे किसी झूठे मुकदमे में ना फंसा दे। इसलिए उन्होंने एक घंटे के अंदर अधिकारियों को फैक्स भी कर दिया।
- लेकिन शायद न्यू आगरा पुलिस को इसकी भनक भी नहीं लगी थी।
- जिस समय इरशाद को पकड़ा गया उस समय वहां पर लगे सीसीटीवी कैमरे में पूरी घटना रिकॉर्ड हो गई।
- रिकॉर्डिंग में पकड़े जाने का समय भी साफ नजर आ रहा है।
- पुलिस ने मोहम्मद इरशाद को बल्केश्वर में अनिल के साथ दिखा दिया।
- सबसे बड़ा सवाल है कि इरशाद जब उसी दिन के सुबह 11:00 बजे बाद पुलिस की हिरासत में था।
- तो रात में वह बल्केश्वर में अनिल के साथ कैसे चला गया।
- इससे साफ साबित होता है कि न्यू आगरा पुलिस ने फर्जी तरीके से इरशाद को जेल भेज दिया।
पुलिस के थर्ड डिग्री टार्चर से बिगड़ा संतुलन
- जेल भेजे गए पीड़ित के पिता के अनुसार, उसके बेटे को पुलिस ने थर्ड डिग्री दी।
- आरोप है कि जल्लाद पुलिसवालों ने उसके बेगुनाह बेटे के मुंह में करंट लगाकर उसे जानवरों की तरह पीटा।
- इससे उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है, वह बोल नहीं पा रहा है।
- उनका कहना है कि जिस व्यक्ति से उनका विवाद चल रहा है उसका पुलिस में अच्छा गठजोड़ है।
- उन्होंने थाने में कई साल से जमे एक सिपाही को भी आरोपित किया है।
- उनका कहना है कि उनका बेटा 3 अप्रैल को आगरा आया वो दिल्ली में काम करता है यहां रहता ही नहीं है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
- इस मामले में एसएसपी आगरा डॉ. प्रितिंदर पाल सिंह का कहना है कि पीड़ित के पिता ने पुलिस पर फर्जी गुडवर्क करने का आरोप लगाया है।
- इस मामले की जांच कराकर मामले की सत्यता सामने आने के बाद अगर जो भी दोषी पाया जाएगा तो उसे दण्डित किया जाएगा।
- फिलहाल देखने वाली बात यह होगी आखिर कब पुलिस अधिकारी एक बेबस पिता की दलीलों पर यकीं कर उसे न्याय दिला पाएंगे।
- पीड़ित पिता अपनी इस लड़ाई को सीएम योगी तक पहुंचाने की बात कह रहा है।
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