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निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों का लखनऊ में प्रदेशव्यापी आंदोलन

vidyut karmchari sanyukt sangharsh samiti workers statewide protest

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उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के विरोध में मंगलवार को विभागों में तालाबंदी कर राजधानी लखनऊ में प्रदेशव्यापी आंदोलन के तहत धरना प्रदर्शन किया। बिजली कर्मचारियों ने बिजली वितरण व्यवस्था के निजीकरण के विरोध में ये आंदोलन किया। प्रदर्शन के चलते बिजली कार्यालयों में कामकाज नहीं हुए। वसूली सहित बिलिंग आदि कार्य भी ठप रहा। अभियंताओं और कर्मचारियों ने शक्ति भवन के सामने प्रदेश सरकार के फैसले के खिलाफ आक्रोश जताया। प्रदर्शन के दौरान हजारों की संख्या में विद्युत कर्मचारी मौजूद रहे।

पांच महानगरों की बिजली निजी हाथों में सौंपने का फैसला

बता दें कि प्रदेश सरकार ने जिस दिन से पांच महानगरों की बिजली निजी हाथों में सौंपने का फैसला लिया है। उसी दिन से बिजली विभाग के अभियंताओं और कर्मचारियों का विरोध शुरू हो गया। कर्मचारियों का कहना है कि सरकार को कुछ निजी लोगों ने गलत राय देकर बरगलाया है। बिजली विभाग के कर्मचारियों को निजीकरण किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के आह्वान पर प्रदेश भर में परियोजना व जिला मुख्यालयों पर बिजली कर्मचारियों व अभियन्ताओं ने विरोध जताया। लखनऊ में मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के मुख्यालय, शक्तिभवन पर भारी संख्या में कर्मचारी व अभियन्ता विरोध जता रहे थे।

इतनी है जिलों में वसूली

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि जनवरी 2018 तक चालू वित्तीय वर्ष में वाराणसी की राजस्व वसूली 6.50 रुपये प्रति यूनिट, लखनऊ की राजस्व वसूली 6.08 रुपये प्रति यूनिट, मुरादाबाद की राजस्व वसूली 5.25 रुपये प्रति यूनिट, गोरखपुर की राजस्व वसूली 5.15 रुपये प्रति यूनिट और मेरठ की राजस्व वसूली 5.10 रुपये प्रति यूनिट है। जबकि आगरा में निजी कम्पनी कारपोरेशन को 3.91 रुपये प्रति यूनिट दे रही है।

मंहगी दरों में रिलायंस की बिजली खरीद रही सरकार

पावर कारपोरेशन निजी घरानों रिलायंस और बजाज से काफी महंगी दरों पर बिजली खरीद रहा है। इसके चलते उप्र में बिजली की लागत 6.74 रुपये प्रति यूनिट आ रही है। आगरा से पावर कारपोरेशन को 6.74 रुपये की लागत के सापेक्ष मात्र 3.91 रुपये मिल रहा है। विगत आठ वर्षों में इस प्रकार आगरा के निजीकरण से पावर कारपोरेशन को 4000 करोड़ रूपये से अधिक की क्षति हो चुकी है।

बिजली व्यवस्था में सुधार के आंकड़े फर्जी

विद्युत् कर्मचारी संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि सरकार व प्रबन्धन द्वारा आगरा, दिल्ली, मुम्बई, अहमदाबाद और सूरत की बिजली व्यवस्था में सुधार के आंकड़े फर्जी हैं। इन सभी स्थानों पर निजी कम्पनियां काम कर रही हैं और निजी कंपनियों का सीएजी आडिट खुद सरकार नहीं होने दे रही है। ऐसे में बिना आडिट किये इन शहरों में सुधार की तरफदारी करना हास्यास्‍पद है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखा पत्र

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर कहा है कि निजीकरण के विरोध में सरकार का ध्यानाकर्षण करने के लिए बिजली कर्मचारियों द्वारा चलाये जा रहे शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक आंदोलन को कुचलने के लिए प्रदेश शासन और ऊर्जा विभाग के उच्च अधिकारीयों द्वारा दमनात्मक रवैया अपनाया जा रहा है, उससे बिजली उद्योग में अनावश्यक तौर पर टकराव का वातावरण बन रहा है।

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