उत्तर प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले सूबे की सियासत में एक नया एजेंडा लागू होने जा रहा है। इस एजेंडे को धार देगा विश्व हिंदु परिषद। यूपी की अखिलेश सरकार भले ही पलायन के मुद्दे पर पानी डाल चुकी है, लेकिन वीएचपी इस मुद्दे को इतना बडा करने की कोशिश मे है कि इसका असर सिर्फ कैराना नही पूरे प्रदेश पर दिखाई दे।
- शामली जिले के कैराना कस्बे में हिंदुओं के पलायन का मसला पिछले छह महीने से यूपी की राजनीति के केंद्र में है।
- वहां के सांसद हुकुम सिंह ने इस मसले को उठाया था।
- जिसको बीजेपी ने इलाहाबाद में हुई अपनी राष्ट्रीय कार्यसमिती में भी आगे बढ़ाया था।
- मई-जून में यूपी का सियासी तापमान इतना बढ़ा कि सरकार से लेकर विपक्ष तक ने कैराना में अपनी टीम भेजी थी।
- पिछले सप्ताह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की नोटिस के बाद मामला एक बार फिर तूल पकड़ने लगा है।
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने माना है कि कैराना में लॉ ऐंड ऑर्डर की स्थिति ठीक नहीं है।
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‘पलायन नहीं पराक्रम’:
- वीएचपी इस मुद्दे को ठीक वैसे ही भुनाना चाहती है, जैसे लोकसभा चुनाव से पहले मुज्जफरनगर की गूंज थी।
- पलायन नही पराक्रम नाम से शुरु होने वाली यह मुहिम बस कुछ ही दिनो में शुरु होने वाली है।
- कैराना में हिंदुओं के पलायन के राष्ट्रीय राजनीति का मुद्दा बनने के बाद विश्व हिंदू परिषद ने ऐसे मामलों को और धार देने का फैसला किया है।
- संघ का सहयोगी संगठन, वीएचपी की ऐसे सभी स्थानों को चिन्हित कर वहां विशेष शाखाएं खोलने की योजना है।
- ऐसे कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू की जाएगी जिससे वहां हिंदुओं को ताकतवर महसूस कराया जा सके।
- फिलहाल चुनावी मौसम में वीएचपी अब इस मुद्दे को और गर्माने की कवायद में जुट गई है।
- विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि हिंदू अब ऐसी स्थितियों में पलायन करने के बजाय उसका सामना करें।
- इसलिए हम ‘पलायन नहीं पराक्रम’ अभियान को सशक्त करने में लगे हैं।
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