उप्र. शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सैयद वसीम रिजवी ने आतंकी हमले में शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए इसकी निंदा की है। रिजवी ने कहा कि कट्टरपंथी मदरसों में आतंकवाद पनप रहा है। ऐसे मदरसों पर पाबंदी लगानी होगी। सरकार जब तक कट्टरपंथी मदरसों पर पाबंदी नहीं लगाएगी, आतंकवाद पनपता रहेगा। उन्होंने कहा, कट्टरपंथी मुसलमान देश के दुश्मन हैं। इनका मकसद हिंदुस्तान में खून खराबा करना है। उन्होंने देश की सुरक्षा के लिए फौज में शामिल होने की इच्छा भी जताई है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी ने कहा था कि अगर जल्दी प्राथमिक मदरसे बंद न हुए तो 15 साल बाद देश को आधे से ज्यादा मुसलमान आईएसआईएस की विचारधारा का समर्थक हो जाएगा। क्योंकि पूरी दुनिया में यह देखा गया कोई भी मिशन चलाने के लिए बच्चों को निशाना बनाया जाता है और इस वक्त दुनिया में आईएसआईएस का एक खतरनाक आतंकी संगठन है। जो धीरे धीरे पूरी दुनिया में मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्रों में अपनी पकड़ बना रही है। कश्मीर में बहुत बड़ी तादाद में आईएसआईएस के समर्थक खुले तौर पर दिखाई दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बहुत बड़े पैमाने पर मदरसे में इस्लामिक तामीर लेने वाले बच्चों को आर्थिक मदद पहुंचा कर इस्लामिक शिक्षा के नाम पर उनको दूसरे धर्मों से काटा जा रहा है। सामान्य शिक्षा से दूर किया जा रहा है। हिंदुस्तान में ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे प्राथमिक मदरसे चंदे की लालच में हमारे बच्चों का भविष्य खराब करने का काम कर रहे हैं। उनको सामान्य शिक्षा से दूर रख कर उन्हें इस्लाम के नाम पर कट्टरपंथी सोच पैदा की जा रही है जो हमारे मुसलमान बच्चों के लिए घातक है और साथ ही देश के लिए भी एक बड़ा खतरा है।
इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए देश हित में और मुस्लिम बच्चों के अच्छे भविष्य के हित में मेरे द्वारा एक सुझाव प्रधानमंत्री को भेजा गया है कि हिंदुस्तान में चल रहे प्राथमिक मदरसों को बंद किया जाए। हाईस्कूल पास करने के बाद अगर बच्चा संयम धर्म प्रचार की तरफ जाना चाहता है तो वह मदरसे में दाखिला ले सकता है। अर्थात मदरसों में प्रवेश हाईस्कूल करने के बाद किए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित किया जाए इससे यह फायदा होगा कि बच्चा स्कूल में सही तरीके से हाईस्कूल की सामान्य शिक्षा ग्रहण कर सकेगा और बचपन से लेकर हाई स्कूल तक हर वर्ग हर धर्म के बच्चों के साथ बैठकर उच्च शिक्षा ग्रहण करने पर धर्म के लोगों को साथ मिलजुल कर रहने व हर धर्म को समझने का मौका भी मिलेगा। उसके बाद अगर वह मदरसों में प्रवेश लेकर धार्मिक प्रचार का रास्ता अपनाता है तो मेरे विचार से बहुत जल्दी वह ही वा कट्टरपंथी मानसिकता ग्रहण नहीं कर सकेगा और खुद के फैसले से मदरसे में दाखिला ले सकेगा।
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