Uttar Pradesh News, UP News ,Hindi News Portal ,यूपी की ताजा खबरें
Uttar Pradesh

एससी/एसटी और अल्पसंख्यक गरीबों से आवास के बदले प्रधानों का वसूली टैक्स

उत्तरप्रदेश में केंद्र तथा सरकार की कई महत्वकांक्षी योजनाओं पर अधिकारी और प्रधान की सांठ-गाँठ से अंधाधुन वसूली चल रही है| आलम यह है कि योजना कोई भी हो, लाभार्थियों को बिना वसूली टैक्स दिए उस योजना का लाभ नहीं मिल सकता क्योंकि प्रधान और अधिकारी आपस में मिलकर लाभार्थियों को भयभीत करते हैं| जो इस वसूली टैक्स को नहीं भरता उसे योजनाओं के लाभ से वंचित रखा जाता है| आलम यह है कि अगर किसी योजना में लाभार्थी का नाम आ भी जाये तो प्रधान और अधिकारी आपस में सलाह करके उसका नाम लाभार्थी सूची से ही हटा देते हैं|

 

प्रधानमंत्री आवास योजना में आवास के बदले 10 हज़ार से लेकर 30 हज़ार तक वसूली टैक्स

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीब, पिछड़ों, एससी-एसटी और अल्पसंख्यकों को आवास केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है| इसी योजना के तहत जिन किसी के पास आवास नहीं है उनके खाते में सीधे सरकार द्वारा धन स्थानांतरित किया जाता है| सरकार द्वारा खाते में सीधे धन स्थानान्तरण की प्रक्रिया भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए अपनाई गयी है लेकिन सरकार डाल-डाल तो अधिकारी पात-पात|

 

लाभार्थियों से आवास योजना का लाभ दिलाने के नाम पर प्रधान 10 हज़ार से लेकर 30 हज़ार तक वसूली टैक्स की मांग करते हैं| प्रधान के साथ-साथ दलालों का भी हिस्सा बंटा हुआ है|

 

 

अधिकारियों की मिलीभगत से फल-फूल रहा है वसूली टैक्स का धंधा

प्रधान के साथ अधिकारियों का लिंक इतना तगड़ा है कि ये जिन्हें चाहते है उन्हें गरीब बना देते हैं| अगर इन्हें वसूली टैक्स नहीं मिलता तो लाभार्थियों का नाम लाभार्थी सूची से कटवा देते हैं| मजबूरन लाभार्थियों को पैसा इन्हें देना ही पड़ता है| गरीब-मजदूर बेचारा करे भी तो क्या? थक-हारकर उसे यह वसूली टैक्स भरना ही पड़ता है|

 

किसी और का आवास वसूली टैक्स के बाद किसी और के नाम

यहाँ तक कि प्रधान किसी और के नाम का आवास किसी और को दे दे रहे हैं| लाभार्थी सूची में नाम आने के बाद किसी और से पैसे लेकर लाभार्थी का नाम कटवा दिया गया| हद तो यह हो गयी कि उस लाभार्थी का पैसा किसी और के खाते में भेजवा दिया गया जो कि बिना अधिकारियों की कृपा से असंभव है|

 

मनरेगा की मजदूरी पर भी वसूली टैक्स

सिर्फ आवास योजना ही नहीं बल्कि मनरेगा पर भी वसूली टैक्स का धंधा चल रहा है| गरीबों के नाम पर आवंटित जॉब कार्ड को प्रधान रखवा लेते हैं| उसके बाद मनमाना वसूली का खेल अपना विकराल रूप लेता है| मजदूरों के खून-पसीने की कमाई का बड़ा हिस्सा प्रधान और अधिकारी हड़प लेते हैं|

 

बैंक अधिकारियों की भी मिलीभगत, बिना चेक के पैसा प्रधान को दे देते हैं अधिकारी

वसूली टैक्स के इस धंधे में सिर्फ ग्रामीण, राज्य अधिकारी ही नहीं बल्कि बैंक के अधिकारी भी प्रधानों से मिले हुए है| नियम-कानून को ताक़ पर रखकर बिना खाताधारक की मौजूदगी में ही उसके खाते से पैसा निकालकर प्रधानों को दे दिया जाता है| नियमानुसार ऐसा सिर्फ चेक द्वारा किया जा सकता है लेकिन बैंक अधिकारियों के लिए वसूली टैक्स के खेल में कोई नियम कानून नहीं है|

 

कार्यवाही के नाम पर जांच का खेल

यह वसूली का पहला मामला नहीं है| इससे पहले भी शौचालय योजना में भी खूब वसूली टैक्स वसूला गया है| मामला प्रकाश में आने के बाद जांच का खेल शुरू होता है| हजारो मामलों में कार्यवाही सिर्फ कुछ पर होती है| लाखो के खेल में जांच के नाम पर एक या दो दिन का वेतन काट कर कोरम पूरा कर दिया जाता है| अब सैयां कोतवाल तो भी डर किस बात का?

Related posts

Here’s how much more you will have to pay for a glimpse of Taj Mahal.

UPORG Desk
6 years ago

फ़ैजाबाद में बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों का सीएम योगी करेंगे निरीक्षण!

Kamal Tiwari
7 years ago

गांधी जयंती 2018 पर साफ सफाई कर दिया स्वच्छता का संदेश

Sudhir Kumar
6 years ago
Exit mobile version