उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकार को सत्ता में आये हुए चार साल पूरे हो गये। इन 4 सालो में प्रदेश में सरकार के द्वारा जो काम किये गये है उसे लेकर जनता की राय वक्त और हालात के अनुसार बदलती हुई दिखाई देती है। प्रदेश की जनता कभी अखिलेश यादव को विकासशील मुख्यमंत्री बताती है तो कभी उन पर यह आरोप लगाती है कि वह अभी राजनीतिक रूप से अपरिपक्त है। लोग जब टूटी हुई सड़को की वजह से आये दिन होने वाले एक्सीडेंट की खबरे पढ़ते है तो जमकर सरकार को कोसते है और कहते है कि सरकार ने प्रदेश में रोड़ व्यवस्था को ठीक करने के लिए कुछ नही किया है। यहीं लोग जब पिछले 4 सालों में बनाये गये हाईवेज पर प्राइवेट या निजी वाहन से निकलते है तो पानी पी पी कर सरकार की तारीफ करते है ।
यह सच है कि पिछले चार सालों में उत्तर प्रदेश में अखिलेश सरकार ने तमाम उपलिब्धया हासिल की। मेट्रों से लेकर 1090 तक, ना जाने कितने कार्य अखिलेश सरकार ने उत्तर प्रदेश में किये । लेकिन यह बात भी उतनी ही प्रांसगिक है कि अखिलेश सरकार जनता से जुड़े कई विभागों में पूरी तरह असफल साबित हुई। इस सरकार के ऊपर जातिवाद से लेकर गुण्डागर्दी तक के आरोप लगे। कई मौको पर सपा सरकार के नेताओं की गुण्डागर्दी साफ नजर आई।
उत्तर प्रदेश में अखिलेश सरकार को लेकर जनता का रिपोट कार्ड कभी सरकार को अच्छे नम्बरों से पास करता है तो कभी जनता की नजरों में अखिलेश सरकार पूरी तरह फेल होती नजर आती है। उत्तर प्रदेश सरकार के कामकाज को लेकर मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक जनता कभी सरकार की तारीफ करती है तो कभी इस सरकार को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ता है।
अखिलेश सरकार को लेकर जनता का बदलता मिजाज ही उत्तर प्रदेश में 2017 में होने वाले विधानसभा चुनावों को दिलचस्प बनाये हुए है। इन चुनावों में उत्तर प्रदेश की जनता काफी कन्फुयूज नजर आ रही है जिसकी वजह उत्तर प्रदेश का राजनीतिक भविष्य दिन प्रतिदिन बदल रहा है। यही लोकतन्त्र की विशेषता है कि यहां कोई भी सरकार अपने आपको सुरक्षित महसूस नही कर सकती क्योंकि सत्ताधारी सरकार को हर पांच साल बाद जनता के बीच में आना पड़ता है और अपने काम के सहारे वोटों के जरीये दोबारा जनता की स्वीकृति हासिल करनी पड़ती है। उत्तर प्रदेश की जनता के बदलते राजनीतिक विचार किस पार्टी को अपने वोटों के जरीये सत्ता की चाबी सौपेगें इसका अनुमान लगाना अभी बेहद मुश्किल है।