नोटबंदी के बाद से सड़क से लेकर संसद तक हंगामा हो रहा है। सोमवार को बसपा प्रमुख मायावती ने संसद में मीडिया के सामने बयान में कहा कि नोट बंदी में जरूर कुछ गड़बड़ है। दाल में थोडा नहीं बहुत कुछ काला है। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष का सामना नहीं कर रहे हैं वह विपक्ष से डर रहे हैं। विपक्ष का हमला भी नेता सही मान रहे हैं। नेताओं का कहना है कि मोदी खुद अपने फैसले पर कंफ्यूज हैं इसलिए कई बार वह नियम बदल चुके हैं और लगातार बदलाव कर रहे हैं।
कब-कब क्या हुआ
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछली 8 नवंबर 2016 को 500 व 1,000 रुपए के पुराने नोट अवैध घोषित करते नोट बंदी का एक बड़ा ऐलान किया।
- उन्होंने ऐलान किया कि लोग 4,000 रुपए तक के पुराने नोट बदलवा सकते हैं।
- बैंक अकाउंंट में पैसा जमा करने पर 8 नवंबर को कोई नियम नहीं बना।
- इस दिन नोट निकालने की सीमा 10,000 रुपए प्रतिदिन तथा 20,000 रुपए प्रति सप्ताह थी और तीन दिन की छूट दी गई थी।
- 9 नवंबर 2016 से पूरे देश में बैंकों व एटीएम के बाहर हजारों की लगी जो अभी भी नजर आ रही है।
- 11 नवंबर को 500 और 1000 के नोट कुछ जगहों पर तीन दिन बढ़ाकर 14 नवम्बर के लिए बढ़ाया गया।
- नोट बंदी के बाद हालात बिगड़े तो सरकार ने 13 नवंबर को यह सीमा बढ़ाकर 4,500 रुपए कर दी।
- दैनिक सीमा हटाकर साप्ताहिक सीमा 24,000 कर दी गई।
- री-कैलिबरेटेड एटीएम से 2,500 रुपए तक निकालने की छूट दे दी।
- 14 नवंबर को चालू खाते रखने वालों के लिए साप्ताहिक सीमा 50,000 रुपए कर दी गई।
- पुराने नोट चलने की सीमा बढ़ाकर 24 नवंबर कर दी गई है।
- 15 नवंबर को उन्होंने घोषणा की कि नोट बदलवाने आने वालों की उंगली पर स्याही लगाई जाएगी।
- जन-धन खाते में पैसा जमा करने की अधिकतम सीमा 50,000 रुपए तय कर दी गई।
- 16 नवंबर को कुछ शाखाओं ने स्याही का इस्तेमाल शुरू कर दिया।
- 17 नवंबर को नोट बदलने की सीमा घटाकर 2,000 रुपए कर दी गई।
- किसानों के लिए 25,000 रुपए प्रति सप्ताह तथा शादियों के लिए 2.5 लाख रुपए निकासी की इजाजत दी गई।
- 18 नवंबर को पुराने नोट बदलने की लिमिट 4500 से घटाकर 2000 रुपये 30 दिसंबर तक सिर्फ एक बार कर दी गई।
- 21 नवंबर को मोदी सरकार ने किसानों को बड़ी राहत देते हुए 500 के पुराने नोटों से सरकारी दुकानों से बीज खरीदने का ऐलान किया।
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