उत्तरप्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद, कमान योगी आदित्यनाथ को सौंप दी गयी| योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री की शपथ लेते ही उत्तरप्रदेश से अफसरशाही और भ्रष्टाचार पर नकेल कसने का वचन दिया था| शुरुआत के कुछ महीनों में योगी के तेवर से यह लगा कि उत्तरप्रदेश में अफसरशाही और भ्रष्टाचार का अंत होने वाला है लेकिन सिर्फ एक साल के बाद ही योगी सरकार के सारे दावे हवा होते हुए दिख रहे हैं|
आलम यह है कि अधिकारी मनमानी रिपोर्ट लगा रहे हैं और योगी खुद की पीठ थपथपा रहे हैं| खनन विभाग, राजस्व विभाग के अलावा समाज कल्याण विभाग में भी सरकारी फण्ड के बंदरबांट ने पूरी सरकार की मंशा पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं| न तो मंत्री की जवाबदेही है और न ही अधिकारीयों की|
मई महीने में हमने पड़ताल करके पूरे विस्तार में आंकड़े के साथ समझाया था कि कैसे छात्रवृत्ति और समाज कल्याण के नाम पर उत्तरप्रदेश सरकार ने बजट तो बढ़ा दिया लेकिन धरातल पर छात्रों तक छात्रवृति की राशि पहुंची ही नहीं| इस बात को आप तक पहुँचाना अत्यंत आवश्यक है कि आखिर कहाँ और कैसे आपके टैक्स के करोड़ो रूपये के घोटाले का खेल चल रहा है?
समाज कल्याण की वेबसाइट पर सब ओके
आंकड़ों की तह तक जाने पर पता चलता है कि शुरुआत तो विभाग से ही हो रही है| सबसे पहले समाज कल्याण छात्रवृत्ति की रिपोर्ट को देखे तो ऐसा लगता है मानों सब ठीक-ठाक चल रहा है| अधिकारीयों ने बड़ी ही चतुराई से आंकड़ों के मकड़जाल में सरकार को ऐसा उलझा दिया है कि सरकार को सब ओके लग रहा है|
ओबीसी(अन्य पिछड़ा वर्ग) के कक्षा 9-10 के छात्रों हेतु छात्रवृत्ति हेतु जो आंकड़े हैं; उसके हिसाब से सरकारी स्कूल के पुराने आवेदकों के सापेक्ष 8647 छात्रों, मान्यता प्राप्त विद्यालयों के पुराने आवेदकों के सापेक्ष 27980 छात्रों, व्यवसायिक विद्यालयों के पुराने आवेदकों के सापेक्ष 53094 छात्रों, सरकारी स्कूल के नए आवेदकों के सापेक्ष 41675 छात्रों, मान्यता प्राप्त विद्यालयों के नए आवेदकों के सापेक्ष 197174 छात्रों, व्यवसायिक विद्यालयों के नए आवेदकों के सापेक्ष 429950 छात्रों की छात्रवृत्ति आवेदन स्वीकार किये गए हैं|
अल्पसंख्यक वर्ग के कक्षा 9-10 के छात्रों हेतु छात्रवृत्ति हेतु जो आंकड़े हैं; उसके हिसाब से सरकारी स्कूल के पुराने आवेदकों के सापेक्ष 2516 छात्रों, मान्यता प्राप्त विद्यालयों के पुराने आवेदकों के सापेक्ष 7281छात्रों, व्यवसायिक विद्यालयों के पुराने आवेदकों के सापेक्ष 8753 छात्रों, सरकारी स्कूल के नए आवेदकों के सापेक्ष 13336 छात्रों, मान्यता प्राप्त विद्यालयों के नए आवेदकों के सापेक्ष 54213 छात्रों, व्यवसायिक विद्यालयों के नए आवेदकों के सापेक्ष 81521 छात्रों की छात्रवृत्ति आवेदन स्वीकार किये गए हैं|
सामान्य वर्ग के कक्षा 9-10 के छात्रों हेतु छात्रवृत्ति हेतु जो आंकड़े हैं; उसके हिसाब से सरकारी स्कूल के पुराने आवेदकों के सापेक्ष 1887 छात्रों, मान्यता प्राप्त विद्यालयों के पुराने आवेदकों के सापेक्ष 6874 छात्रों, व्यवसायिक विद्यालयों के पुराने आवेदकों के सापेक्ष 9932 छात्रों, सरकारी स्कूल के नए आवेदकों के सापेक्ष 10286 छात्रों, मान्यता प्राप्त विद्यालयों के नए आवेदकों के सापेक्ष 52139 छात्रों, व्यवसायिक विद्यालयों के नए आवेदकों के सापेक्ष 109957 छात्रों की छात्रवृत्ति आवेदन स्वीकार किये गए हैं|
ओबीसी(अन्य पिछड़ा वर्ग) के कक्षा 11-12 एवं अन्य दशमोत्तर के छात्रों हेतु छात्रवृत्ति हेतु जो आंकड़े हैं; उसके हिसाब से सरकारी स्कूल के पुराने आवेदकों के सापेक्ष 6957 छात्रों, मान्यता प्राप्त विद्यालयों के पुराने आवेदकों के सापेक्ष 48432 छात्रों, व्यवसायिक विद्यालयों के पुराने आवेदकों के सापेक्ष 99606 छात्रों, सरकारी स्कूल के नए आवेदकों के सापेक्ष 20988 छात्रों, मान्यता प्राप्त विद्यालयों के नए आवेदकों के सापेक्ष 168139 छात्रों, व्यवसायिक विद्यालयों के नए आवेदकों के सापेक्ष 334765 छात्रों की छात्रवृत्ति आवेदन स्वीकार किये गए हैं|
अल्पसंख्यक वर्ग के कक्षा 11-12 एवं अन्य दशमोत्तर कक्षा के छात्रों हेतु छात्रवृत्ति हेतु जो आंकड़े हैं; उसके हिसाब से सरकारी स्कूल के पुराने आवेदकों के सापेक्ष 3020 छात्रों, मान्यता प्राप्त विद्यालयों के पुराने आवेदकों के सापेक्ष 15944 छात्रों, व्यवसायिक विद्यालयों के पुराने आवेदकों के सापेक्ष 20466 छात्रों, सरकारी स्कूल के नए आवेदकों के सापेक्ष 8321 छात्रों, मान्यता प्राप्त विद्यालयों के नए आवेदकों के सापेक्ष 47587 छात्रों, व्यवसायिक विद्यालयों के नए आवेदकों के सापेक्ष 64708 छात्रों की छात्रवृत्ति आवेदन स्वीकार किये गए हैं|
सामान्य वर्ग के कक्षा कक्षा 11-12 एवं अन्य दशमोत्तर कक्षा के छात्रों हेतु छात्रवृत्ति हेतु जो आंकड़े हैं; उसके हिसाब से सरकारी स्कूल के पुराने आवेदकों के सापेक्ष 3012 छात्रों, मान्यता प्राप्त विद्यालयों के पुराने आवेदकों के सापेक्ष 20741 छात्रों, व्यवसायिक विद्यालयों के पुराने आवेदकों के सापेक्ष 32039 छात्रों, सरकारी स्कूल के नए आवेदकों के सापेक्ष 6842 छात्रों, मान्यता प्राप्त विद्यालयों के नए आवेदकों के सापेक्ष 58050 छात्रों, व्यवसायिक विद्यालयों के नए आवेदकों के सापेक्ष 74812 छात्रों की छात्रवृत्ति आवेदन स्वीकार किये गए हैं|
यानि समाज कल्याण विभाग की तरफ से छात्रवृत्ति वितरण की सूची पर ‘ओके’ की मुहर लगा दी गयी है| अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार जितने आवेदन आये, लगभग सभी छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान कर दी गयी है|
क्या है सच्चाई?
अपरोक्त आंकड़ों को पढ़कर आपको लग रहा होगा कि योगी सरकार में एक पैसे का भी घोटाला नहीं हुआ है| लेकिन हम आपको बताना चाहेंगे कि जैसा दिख रहा है, वैसा बिलकुल नहीं है| साफ़ तौर पर अधिकारीयों ने सरकार की आँख में धूल झोंकने के लिए ऐसे आंकड़े तैयार कर रखे है कि सरकार को लगे कि सब चकाचक है|
जब हमने छात्रों से बात की तो पता चला कि ऐसे हज़ारों छात्र है जिनके अकाउंट में छात्रवृत्ति की राशि आई ही नहीं है| जिनके अकाउंट में राशि आई भी है तो सिर्फ आधी रकम समाज कल्याण विभाग द्वारा जमा करायी गयी है| कुछ छात्रों को छः हज़ार रूपये के शुल्क आवेदन पर मात्र तीन हज़ार का भुगतान किया गया है|
प्रदेश सरकार ने आंकड़े जारी करते हुए कहा था कि वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट में बेसिक, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए 62,185.25 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई। यह वर्ष 2016-17 के शिक्षा बजट 49,607.93 करोड़ रुपये के सापेक्ष 25.4 प्रतिशत अधिक था।
कुल भुगतान का औसत देखे तो कक्षा 9-10 के 1625017 छात्रों के सापेक्ष प्रति आवेदन 6000 रूपये की धनराशि के हिसाब से 9750102000 रूपये(लगभग 975 करोड़) और दशमोत्तर छात्रों के लिए 1535176 छात्रों के सापेक्ष प्रति आवेदन 10000 रूपये की धनराशि के हिसाब से 15351760000 रूपये(लगभग 1535 करोड़) की आवश्यकता है| इस मद में इन विभागों के पास करीब 3,400 करोड़ रुपये पहले से ही उपलब्ध थे। वित्तीय वर्ष 2017-18 में लगभग 25.4 प्रतिशत की वृद्धि कर दी गयी|
तो फिर सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर कैसे अधिकारीयों के अनुसार पैसे भेज दिए गए हैं और छात्रों तक पहुंचे ही नहीं? समाज कल्याण के आंकड़ों के अनुसार अगर राशि भेज दी गयी है तो कौन खा गया?
वर्ष 2018-19 हेतु आवेदन की अंतिम तिथि बिना बताए घटा दी गयी
सबसे चौकाने वाली बात यह है कि सरकार की तरफ़ से बेलगाम अधिकारी कुछ भी निर्णय लेते हैं और छात्रों तक ख़बर भी नहीं पहुंचाई जाती| पहले दशमोत्तर हेतु आवेदन की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर थी जिसे बिना बताये घटाकर 10 सितम्बर कर दिया गया| ऐसे में अगर कोई छात्र आवेदन नहीं कर पता है तो ज़िम्मेदारी किसकी?
अधिकारीयों का पक्ष
माफ़ कीजियेगा, अधिकारीयों का कोई पक्ष नहीं है क्योंकि जब हमने पी0के0 त्रिपाठी- उप निदेशक (पूर्वदशम एवं दशमोत्तर छात्रवृत्ति वाह्य प्रदेश एवं प्रदेश के अंदर) से संपर्क करने की कोशिश की तो उनका दूरभाष घंटों तक व्यस्त बताता रहा| अजीत प्रताप सिंह (उप निदेशक) से संपर्क करने की कोशिश की गयी तो उन्होंने फोन नहीं उठाया| इतना ही नहीं, उपलब्ध टोलफ्री नम्बर (18004190001, 180030100001, 18001805131, 18001805229) में से किसी पर भी संपर्क नहीं हो सका| कुछ नंबर गलत तो कुछ सेवा क्षेत्र से बाहर मिले|
जिलास्तरीय अधिकारीयों का वही पुराना तर्क है| कहीं कोई कहता है कि बजट नहीं है, कोई कहता है सरकार ने बजट ज़ारी ही नहीं किया| कहीं-कहीं साफ़ तौर पर बोला जाता है कि ओबीसी और सामान्य वर्ग की छात्रवृत्ति नहीं आयेगी| न जाने कैसे जब छात्रवृत्ति नहीं आयेगी तो समाज कल्याण विभाग सारी धनराशि भेजने का दावा कर रहा है!
UP Scholarship Scam पर फिर से वही सवाल: कहाँ हैं करोड़ों की छात्रवृत्ति राशि?
हमारा सरकार से फिर से वही सवाल है| कहाँ हैं छात्रवृत्ति की करोड़ों की राशि? समाज कल्याण से चलकर कहाँ गायब हो गए करोड़ों रूपये? आख़िर इतने बड़े घोटाले की जांच क्यों नहीं करवाई जाती? क्या सरकार की मिलीभगत से अधिकारी कर रहे हैं घोटाला?
2017-18 में शिक्षा का प्रस्तावित बजट 62351 करोड़ रूपये है जो कि पिछले वर्ष की बजट राशि से 34% ज्यादा है| अगर समाज कल्याण के नाम पर प्रस्तावित बजट को भी एक नज़र से देखा जाय तो 2015-16 में 17487 करोड़ की तुलना में लगभग 2500 करोड़ रूपये बढ़ा कर 2016-17 में 20238 करोड़ (संशोधित) कर दिया गया| वित्तीय वर्ष 2017-18 में प्रस्तावित बजट 22665 करोड़ रूपये है|