कोविड19 महामारी से मृत एयर इंडिया के पायलटों की विधवाओं ने उचित मुआवजे और रोजगार की मांग की

विगत वर्ष में जब कोरोना महामारी ने भारत में दस्तक दी थी तो पूरा भारत लॉकडाउन में घरों में सिमटा हुआ था, मगर एयर इंडिया ने अपनी सेवाएं जारी रखी हुई थी। इन सेवाओं के दौरान एयर इंडिया के बहुत से पायलट कोविड19 के गिरफ्त में आ गए थे। इनमे से कुछ पायलटों की मौत भी इस महामारी के कारण हो गई थी। एयर इंडिया ने इन पायलटों की मौत पर 10-10 लाख रुपए के मुआवजे की घोषणा की थी। जिससे इन मृत पायलटों की विधवाएं असन्तुष्ट थी। अपनी मांगों को एयर इंडिया के शीर्ष अधिकारियों के समक्ष रखने के उद्देश्य से कोरोना से मृत पायलटों की पत्नियों ने “विडो फोरम फॉर जस्टिस” नामक फोरम का गठन किया था।

 

ताज़ा घटनाक्रम में “विडो फोरम फॉर जस्टिस” ने 10 लाख के मुआवजे को अपर्याप्त बताते हुए एयर इंडिया प्रबंधन से पर्याप्त मुआवजा और अपने लिए वैकल्पिक रोजगार की मांग करने के लिए लिखा है। “विडो फोरम फॉर जस्टिस” ने एयर इंडिया द्वारा मुआवजे के रूप में दिए गए 10 लाख रुपए को अपर्याप्त बताते हुए कहा है कि इतनी राशि तो उन्हों दो महीने काम करने पर प्राप्त हो जाती थी। उन्होंने इंडिगो एयरलाइन का उधारण देते हुए बताया कि इंडिगो ने ऐसी ही अवस्था में अपने पायलटों को 5 करोड़ रुपए का मुआवजा उपलब्ध कराया है।

 

ज्ञात हो कि एयर इंडिया के स्टाफ और एयर इंडिया के शीर्ष अधिकारियों के बीच बहुत लंबे समय से विवाद चलते आ रहा है। एक तरफ एयर इंडिया के शीर्ष अधिकारी नुकसान में चल रहे अपने एयरलाइन से सभी पायलटों और स्टाफ को सस्ते में निबटाना चाह रहे हैं, तो एयर इंडिया के स्टाफ अपने लिए उचित न्याय की मांग कर रहे हैं। इसी प्रयास में एयर इंडिया प्रबंधन ने 40 पायलटों की सेवाओं को एकाएक समाप्त कर दिया था, जिन्हे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एयर इंडिया को पुनः बहाल करना पड़ा था। इस कड़ी में एक और अध्याय जोड़ते हुए अब एयर इंडिया के कोरोना से मृत पायलटों की विधवाओं ने अपने लिए रोजगार और मुआवजे की मांग की है।

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