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पुलवामा हमले में शहीद हुए जाँबाज़ मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल की पत्नी सेना में शामिल हुई ।

पुलवामा हमले में शहीद हुए जाँबाज़ मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल की पत्नी सेना में शामिल हुई ।

 

2019 में जम्मू-कश्मीर में पुलवामा हमले में अपने प्राणों की आहुति देने वाले जाँबाज़ मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल की पत्नी निकिता कौल ने अपने पति की विरासत को जारी रखने के लिए भारतीय सेना में शामिल हुई है ।

शनिवार को उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाई.के. जोशी ने निकिता के कंधे पर सितारे लगा दिए है ज़ वह इसी साल 26 मई को ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी से पास हुई थीं। शनिवार को उन्हें औपचारिक रूप से भारतीय सेना में शामिल कर लिया गया है वह लेफ्टिनेंट के रूप में सेना में शामिल होंगी।
बता दें शनिवार को उधमपुर स्थित डिफेंस पीआरओ ने एक ट्वीट में कहा, “#MajVibhutiShankarDoundiyal, 2019 में #Pulwama में सर्वोच्च बलिदान दिया, SC (P) से सम्मानित थे, आज उनकी पत्नी @Nitikakaul ने #IndianArmy की वर्दी पहन कर उन्हें एक उचित श्रद्धांजलि दी है । यह एक गर्व का क्षण है की उनके लिए लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने, #ArmyCdrNC खुद उनके कंधों पर सितारे लगाए है।

मेजर ढौंडियाल की शादी उनके निधन से महज नौ महीने पहले ही हुई थी। इसके बाद निकिता कौल ने अपनी कॉर्पोरेट नौकरी छोड़कर भारतीय सेना में शामिल होने का प्रेरक निर्णय लिया था। पति की मौत के छह महीने बाद ही निकिता ने शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) का फॉर्म भरा। उन्होंने परीक्षा और सेवा चयन बोर्ड (SSB) के साक्षात्कार में भी सफलता प्राप्त की। वह अपने प्रशिक्षण के लिए चेन्नई में अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी (OTA) गई थीं।

उन्होंने भारतीय सेना में शामिल होने के लिए अपनी कॉर्पोरेट नौकरी छोड़ दी और 2020 में उन्होंने शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) परीक्षा और सेवा चयन बोर्ड (एसएसबी) साक्षात्कार पास किया। उस समय उन्होंने कहा था, “मैंने बड़े नुकसान से उबरने के लिए अपना समय लिया और शॉर्ट सर्विस कमीशन की परीक्षा में बैठने का फैसला धीरे-धीरे हुआ। पिछले साल सितंबर में फॉर्म भरना एक बड़ा फैसला था। लेकिन मैंने तय कर लिया था कि मैं भी अपने पति की तरह इसी रास्ते पर चलना चाहती हूं।”

बता दें, 2019 में 55 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात मेजर ढौंडियाल ने पुलवामा हमले में अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। पुलवामा में एक कार बम हमले के कुछ ही दिनों बाद जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के आतंकवादियों के साथ हुई मूठभेड़ में वह शहीद हो गए थे, जिसमें 40 अर्धसैनिक केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान भी शहीद हुए थे।

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