लखनऊ. समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव 27 अगस्त को पटना में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की ओर से आयोजित ‘भाजपा भगाओ, देश बचाओ’ रैली में शामिल होंगे. सोमवार को जारी की गई इस सूचना से यह तो तय है कि अखिलेश यादव भी भाजपा से दो-दो हाथ करने से पीछे नहीं हैं. मगर इस सूचना के बाद राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी जोर पकड़ने लगी है कि बिहार के मुख्यमंत्री व जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार के यूटर्न मारने के बाद महागठबंधन की नींव ही हिल गई है. ऐसे में अखिलेश का लालू की आयोजित रैली में भाग लेना कहीं महागठबंधन में नीतीश की कमी को पूरा करने की कवायद तो नहीं है.
कांग्रेस की पहल पर उठाया गया यह कदम-
- बता दें कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से गलबहियां करते हुए सपा ने अपनी राजनीतिक लड़ाई लड़ी थी.
- उस समय से ही अखिलेश और कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी एक-दूसरे की तारीफ करते आ रहे हैं.
- ऐसे में जब नीतीश ने लालू और उनके परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते किनारा कर लिया है उससे महागठबंधन की नींव हिल गई है.
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- जाहिर है ऐसा होने से देश में विपक्षियों के एकजुट होकर भाजपा को हराने का ख्वाब टूटने की कगार पर आया है.
- ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस आलाकमानों के हस्तक्षेप के बाद से अखिलेश का कद इस महागठबंधन में बढ़ाने की कोशिश की जा रही है.
- यही कारण है कि 27 अगस्त की रैली में सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी भाग लेने जा रहे हैं.
रैली में भाग लेने के साथ ही इसे संबोधित भी करेंगे अखिलेश यादव-
- ‘भाजपा भगाओ, देश बचाओ’ रैली में भाग लेने के साथ ही वे इसे संबोधित भी करेंगे.
- यूं भी सपा संरक्षक व पूर्व सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की उम्र बढ़ने के साथ ही उनमें महागठबंधन में शरीक करने का कोई खास लाभ नहीं मिलेगा.
- अखिलेश यादव युवा हैं और उनमें अन्य राजनीतिक दलों को नेतृत्व करने की क्षमता भी दिखती है.
- ऐसे में राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा आम हो गई कि 27 अगस्त को महागठबंधन का भविष्य भी साफ तौर पर दिखने लगेगा.
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Mohammad Zahid
मैं @uttarpradesh.org का पत्रकार हूँ। तथ्यों को लिखने से मुझे कोई रोक नहीं सकता।नवाबों के शहर लखनऊ का हूँ इसलिए बुलंद आवाज़ भी उठाता हूँ तो बड़े एहतराम से....