बिहार में शराबबंदी के बाद सभी ये उम्मीद लगा रहे थे कि, उत्तर प्रदेश में भी तत्कालीन समाजवादी सरकार राज्य में पूर्ण रूप से शराबबंदी का आदेश दे सकती है। लेकिन अखिलेश सरकार ने ऐसा कोई भी निर्णय नहीं लिया। जिसके बाद आई योगी सरकार से भी जनता ने कुछ ऐसी ही उम्मीद लगायी थी, साथ ही सूबे के ग्रामीण क्षेत्रों समेत शहरी क्षेत्रों की महिलाओं द्वारा शराब की दुकानें बंद किये जाने को लेकर जगह-जगह प्रदर्शन भी किये गए थे। लेकिन योगी सरकार ने शराबबंदी का कोई भी निर्णय नहीं लिया। लेकिन सूत्रों के मुताबिक, योगी सरकार इस मामले में एक नए प्रयोग(wine manufacturing unit) के साथ वापस आ रही है, जो यकीनन सुनने में दिलचस्प लग रहा है।
आलू और चुकंदर से शराब बनाएगी योगी सरकार(wine manufacturing unit):
- योगी सरकार शराब की लत छुड़वाने के लिए नया प्रयोग करने जा रही है।
- जिसके तहत सरकार आलू और चुकंदर से शराब बनाएगी।
- सूबे के आबकारी विभाग के अंडर सेक्रेटरी विनोद तिवारी ने यह जानकारी एक निजी इंटरव्यू में दी थी।
- जिसमें उन्होंने बताया कि, ऐसी शराब बनाने का काम देश में पहली बार हो रहा है।
- साथ ही इससे लोगों की सेहत पर बुरा असर भी नहीं पड़ेगा।
- इतना ही नही इस शराब के सेवन से शराब की लत छोड़ने में भी आसानी होगी।
आलू-चुकंदर से बनने वाली शराब(wine manufacturing unit):
- शराब बनाने के लिए आलू और चुकंदर में पाए जाने वाले स्टार्च को डिसेंटीग्रेस कर ग्लूकोज में तब्दील किया जायेगा।
- जिसके बाद हाइली इनफ्लैम्बल अल्कोहल मिलता है।
भारत में पहली बार प्रयोग(wine manufacturing unit):
- यूपी में आलू और चुकंदर से शराब बनाने का प्रयोग किया जा रहा है।
- गौरतलब है कि, भारत में ऐसा प्रयोग पहली बार किया जा रहा है।
- इस प्रोसेस से शराब बनाने पर करीब 35 से 40 रुपये प्रति/लीटर का खर्च आएगा।
- वहीँ अभी तक ज्यादातर शराब गन्ना, गेहूं, ज्वार, मकई, अंगूर और महुआ आदि से बनाया जाता है।
- गन्ने शराब बनाने का खर्च करीब 42 रुपये प्रति/लीटर आता है।
- जिसके बाद फ्लेवर, कवर, पैकिंग, मार्केटिंग, डिस्ट्रीब्यूशन और टैक्स मिलाकर शराब रेट बढ़ जाता है।
1 लाख मीट्रिक टन आलू खरीदा जायेगा(wine manufacturing unit):
- आलू और चुकंदर से शराब बनाने के लिए सरकार तैयारी में लगी हुई है।
- जिसके लिए सरकार द्वारा 1 लाख मीट्रिक टन आलू खरीद का लक्ष्य भी रखा है।
- प्रदेश में कुल 1708 शीतगृह केंद्र हैं।
- जिनमें 130 लाख मीट्रिक टन की भण्डारण क्षमता है।
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