कानपुर के राजकीय महिला शरणालय में हुई हत्या के मामले में समाजवादी पार्टी के नेता आज एक बार फिर बड़ी भूल कर बैठे। महिला कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी का पुतला फूंकने के लिये जुटी समाजवादी पार्टी की महिला नेताओं ने संदिग्ध रेप की शिकार युवती का नाम उजागर कर दिया। जबकि न्यायालय ने रेप पीड़िता की पहचान उजागर करने पर रोक लगायी हुई है। बीते दिनों सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने मामले की जांच के लिये पांच पुरूष नेताओं का दल महिला शरणालय भेजा था जबकि वहां पुरूषों का प्रवेश निषिद्ध है।
पुलिस और प्रर्दशनकारियों में झड़प
राजकीय महिला शरणालय हत्याकांण्ड पर अब राजनीति शुरु हो गयी है। महिला कार्यकर्ताओं ने आज पार्टी कार्यालय के पास महिला कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी का पुतला फूंकने की कोशिश की। इस दौरान पुलिस से तीखी झड़प हुई और पुलिस उनके हाथों से पुतला झपटने में सफल रही।
प्रर्दशनकारियों ने पुलिस पर लगाये दुपट्टे पर हाथ डालने का आरोप
प्रदर्शनकारियों ने मंत्री की तस्वीर वाली तख्तियां जलाकर अपने मन की भड़ास निकाली। उन्हें रोकने के लिये महिला पुलिस का इन्तजाम न करके प्रशासन एक चूक कर बैठा और प्रदर्शनकारी महिलाओं को ये आरोप लगाने का मौका मिल गया कि पुरूष पुलिसकर्मियों ने पुतला छीनने की आड़ में उनके दुपट्टों पर हाथ डाला।
वही इसी दौरान सपा नेत्री दीपा यादव ने चूक कर बैठी। उन्होंने अपने बयान में रेप पीड़िता के नाम को सार्वजनिक कर दिया। युवती की जिसकी बलात्कार के बाद हत्या की गयी है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बलात्कार पीड़िता की पहचान सार्वजनिक करने पर रोक लगायी गयी है।
बीते दिनों समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष तथा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसी घटना की जांच के लिये पार्टी के विधायकों व पूर्व विधायकों का पांच सदस्यीय दल भेजा था जिसमें सभी दल पुरूषों के थे। जिला प्रशासन द्वारा पुरूष नेताओं को अन्दर प्रवेश की इजाजत न मिलने के बाद विधायकों ने इन्हीं दीपा यादव को संवासिनियों से मिलने अन्दर भेजा था।