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बीमार पति को पीठ पर लेकर केजीएमयू के ट्रॉमा से ओपीडी तक धक्के खाती रही महिला

Woman Wander with Sick Husband on Back For Treatment in KGMU

Woman Wander with Sick Husband on Back For Treatment in KGMU

पूरे विश्व में इलाज के लिए विख्यात लखनऊ के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में गरीबों को इलाज में सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना के मरीज को भी केजीएमयू में इलाज के लिए भटकना पड़ा। केजीएमयू प्रशासन प्रधानमंत्री की इस योजना को ठेंगा दिखा रहा है। इस मेडिकल कॉलेज में मरीजों को जांचों के नाम पर ट्रॉमा से ओपीडी, ओपीडी से ट्रॉमा दौड़ाया जाता है। स्ट्रेचर और व्हील चेयर तक उपलब्ध नहीं रहती हैं। मजबूरन तीमारदारों को मरीज को पीठ पर लादकर एक से दूसरे विभाग तक भटकना पड़ता है। ऐसा ही एक मामला यहाँ फिर देखने को मिला। स्ट्रेचर न मिलने पर महिला अपने गंभीर रूप से बीमार पति को पीठ पर लेकर ट्रॉमा से ओपीडी तक धक्के खाती रही। थक- हारकर बिना इलाज वह वापस लौट गई।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]भर्ती करने के लिए गिड़गिड़ाते रहे परिजन लेकिन नहीं पसीजे डॉक्टर[/penci_blockquote]
जानकारी के अनुसार, सुलतानपुर धनहुआ निवासी पन्ना लाल (42) को दो हफ्ते से सांस लेने में तकलीफ है। वहां के जिला अस्पताल में मरीज को खून की उल्टी होने लगी। शौच के साथ भी खून भी आने लगा। कमजोरी व खून की कमी से मरीज बेहाल हो गया। तब डॉक्टरों ने उसे केजीएमयू रेफर कर दिया। गंभीर हाल में परिजन उसे लेकर सोमवार को ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। सोमवार को करीब 12 बजे पत्नी मीरा अपने पति पन्ना लाल को लेकर कैजुअल्टी में पहुंची। मरीज की गंभीर हालत जानने के बावजूद डॉक्टरों ने उन्हें भर्ती नहीं किया। इस पर मरीज की हालत बिगड़ती गई। आनन-फानन में डॉक्टरों ने केवल जांचों के लिए कहा। इलाज तब भी नहीं शुरू किया। किसी तरह परिजनों ने एक्सरे, सीटी स्कैन समेत दूसरी जांचें कराईं। रिपोर्ट देखने के बाद मरीज को ओपीडी में दिखाने की सलाह दी गई। परिजन मरीज की हालत का हवाला देकर भर्ती करने के लिए गिड़गिड़ाते रहे लेकिन डॉक्टर नहीं पसीजे। रैन बसेरे में पत्नी उसे लेकर रात भर पड़ी रही। रात में मरीज की हालत और बिगड़ गई। खून की कई उल्टियां हुईं। मरीज बेहोश हो गया। पत्नी ने डॉक्टरों को पति की हालत बिगड़ने का हवाला दिया। पर, तब भी संवेदनहीन डॉक्टर नहीं पसीजे। मरीज को ओपीडी में दिखाने की सलाह दी। ओपीडी में परिवारीजन मरीज को लेकर भटकते रहे।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]कर्मचारियों ने स्ट्रेचर देने से कर दिया मना[/penci_blockquote]
कर्मचारी गरीब व अशिक्षित परिवारीजनों को गुमराह करते रहे। नतीजतन मंगलवार को भी इलाज नहीं मिला। परिवारीजन फिर से ट्रॉमा के बाहर इंतजार करते रहे। बुधवार सुबह मरीज की हालत और बिगड़ गई। वह चलने-फिरने में लाचार हो गया। पत्नी फिर स्ट्रेचर मांगने पहुंची पर कर्मचारियों ने स्ट्रेचर देने से मनाकर दिया। नतीजतन पत्नी मीरा अपने पति पन्ना लाल को पीठ पर लादकर आधा किलोमीटर दूर ओपीडी में गईं। यहां कर्मचारियों ने फिर खदेड़ दिया। कर्मचारियों के बरताव से मीरा रोने लगीं। रोते-बिलखते रिश्तेदार बृजलाल ने बताया कि प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने की स्थिति नहीं है। ऐसे में मजबूरन गांव लौटना पड़ रहा है।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]आयुष्मान के मरीज से कराई पांच हजार की जांचें[/penci_blockquote]
बाराबंकी निवासी उमा वर्मा के रीढ़ में फोड़ा है। बीपीएल कार्डधारक पिता रघुराज ने केजीएमयू में आयुष्मान योजना के तहत इलाज की कवायद शुरू की। हड्डी रोग विभाग में डॉ. आरएन श्रीवास्तव के निर्देशन में इलाज शुरू हुआ। डॉक्टर ने मरीज को भर्ती करने की सलाह दी। बीपीएल कार्डधारक रघुराज का आरोप है कि आयुष्मान योजना के लिए कई बार आवेदन किया। इसके बावजूद योजना के तहत मुफ्त इलाज शुरू नहीं हुआ। अब तक जांच पर करीब पांच हजार रुपये खर्च हो चुके हैं। मरीज की एमआरआई समेत दूसरी जांच कराई गई है। गरीब पिता ने उधार लेकर जांच कराई। बुधवार को तीमारदारों ने इलाज पर और खर्च करने में असमर्थता जाहिर की। गुस्साए तीमारदारों ने हंगामा किया। उसके बाद कर्मचारियों ने मरीज का पंजीकरण आयुष्मान योजना के तहत किया।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]क्या कहते हैं जिम्मेदार[/penci_blockquote]
केजीएमयू में आयुष्मान योजना का बुरा हाल है। आलम यह है कि योजना का लाभ पाने के लिए मरीजों को कई-कई दिनों तक चक्कर काटना पड़ रहा है। एक महिला बीमार पति को कंधे पर लेकर ट्रॉमा से पीआरओ ऑफिस तक चक्कर काटती रही, फिर भी पति को भर्ती नहीं किया गया। इस संबंध में मीडिया प्रभारी प्रोफेसर संतोष कुमार ने बताया कि आयुष्मान योजना के सभी दस्तावेज दिखाने वाले मरीजों का पंजीयन किया जा रहा है। जरूरी दस्तावेज नहीं होने की वजह से ही दिक्कत होती है। यदि किसी मरीज को दिक्कत हो रही है तो वह पीआरओ से तत्काल संपर्क करे।

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