भारतेंदु हरिश्चंद्र ने भी कहा था कि ‘निज भाषा उन्नत्ति अहै, सब उन्नति को मूल’. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक भारत रत्न महामना मदन मोहन मालवीय हिंदी भाषा के पक्षधर थे. उनका मानना था कि कामकाज और देश का साहित्य मातृभाषा में होना चाहिए. इन महापुरुषों के विचारों को अपनाते हुए अब आईआईटी बीएचयू ने हिंदी में कामकाज करने का फैसला किया है.
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]हिंदी पखवाड़े के दौरान निदेशक ने की अपील [/penci_blockquote]
संस्थान के निदेशक पी.के.जैन ने हिंदी पखवाड़े के अवसर पर कर्मचारियों से हिंदी में काम करने की अपील की. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था और व्यापार में हमें राष्ट्रभाषा हिंदी को प्राथमिकता देनी होगी. संस्थान के कार्यान्वन समिति के उपाध्यक्ष अनिल त्रिपाठी ने कहा कि हिंदी अब केवल बोलचाल कि नहीं बल्कि कामकाज की भी भाषा बन रही है.
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]हिंदी में हुए कार्यों का दिया ब्योरा [/penci_blockquote]
जहाँ एक तरफ संयुक्त कुलपति ने बीते एक साल में संस्थान में हिंदी में हुए काम का ब्योरा दिया वहीँ निदेशक पी.के. जैन ने हिंदी भाषा में तकनीकी कार्यशाला के आयोजन की बात कही. उन्होंने महामना के विचारों को भी इस दौरान सबके सामने रखा.
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]मौजूद रहे तमाम अधिकारी [/penci_blockquote]
इस अवसर पर संयुक्त कुलसचिव राजन श्रीवास्तव, सहायक कुलसचिव गंगेश शाह, केन्द्रीय सचिवालय हिंदी परिषद् के संयोजक जगदीश नारायण राय, बीएन राय, राजीव प्रकाश और डॉ. शिवलोचन शांडिल्य समेत संस्थान के तमाम अधिकारी मौजूद रहे.
बीएचयू के लाल बहादुर छात्रावास में भी हिंदी पखवाड़ा मनाया गया जहाँ छात्रावास के प्रशासनिक संरक्षक डॉ. बाला लोखेंद्र ने कहा की हिंदी से ही पूरे देश का विकास संभव है.
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