आज विश्व पर्यावरण दिवस है और आज के ख़ास दिन पर सीएम योगी जहाँ एक ओर अपने कानपुर के दौरे के दौरान वृक्षारोपण कर पर्यावरण को साफ़ रहने की अपील की. वहीं लखनऊ में सैकड़ों वृक्ष ऐसे हैं जो अपनी अंतिम साँसे ले रहे हैं. 

विश्व पर्यावरण दिवस पर ख़ास:

सरकार बढ़ चढ़ कर सूबे में वृक्षारोपण की बात करती हैं, चाहें वो योगी सरकार हो या पूर्व की अखिलेश सरकार, लेकिन आज सैकड़ों की संख्या ने सूख रहे पेड़ों को देख कर पर्यावरण के प्रति इनकी उदासीनता साफ़ देखने को मिली.
सरकार का हर विभाग लाखों की संख्या में हरियाली लाने के लिए पौधे लगाता है लेकिन बाद में यही पौधे सूख जाते हैं लेकिन आधिकरियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है।

राजधानी में लगे पेड़ों की सुध लेने वाला कोई नहीं:

बता दें किफॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक हर जिले में 33 फीसदी क्षेत्र में वनक्षेत्र होना चाहिए लेकिन लखनऊ में ऐसा नहीं है। हर साल प्रशासन पौधे लगाने की योजना बनाती है लेकिन बाद में यही हरियाली रखरखाव के अभाव में दम तोड़ देती है। इसका ताजा उदाहरण है रिवर फ्रंट के पेड़-पौधें।
गौर करें तो पिछली अखिलेश सरकार ने सूबे में पर्यावरण दिवस पर पांच करोड़ पौधे लगाये थे। इसके बाद योगी सरकार आई और उन्होंने अखिलेश से एक कदम आगे निकलते हुए छह करोड़ पौधे लगवाना का दावा किया है। लेकिन इस तरह के वादे सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए होते हैं और पर्यावरण भी राजनीतिक मुद्दा बन गया हैं.

रीवर फ्रंट में हजारों पेड़ सूख रहे:

अखिलेश के ड्रीम प्रोजेक्ट रिवर फ्रंट के नजरें देख कर ये बात साफ़ होती हैं. गौरतलब है कि अखिलेश सरकार में रिवर फंट के लिए पेड़ पौधे लाये गए थे लेकिन अब इन पौधों की सुध लेने वाला कोई नहीं.
करोड़ो के ये पौधे आज तक लग ही नहीं सके. योगी सरकार ने आते ही अखिलेश के ड्रीम प्रोजेक्ट पर जांच बैठा दी और खामियाजा भुगतना पड़ा इसी पर्यावरण को बचाने वाले हरे पेड़ पौधों को. पौधों को सूरज की तपती किरणों के बीच छोड़ दिया गया वह भी बगैर पानी के।

सूख गये पौधें:

बता दें कि अभी हाल में हुए यूपी इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन में पेड़ों से पूरें शहर को सजाया गया. इसके लिए बाहर से काफी पैसा खर्च करके पौधे मंगवाएं गये।
लेकिन पहले से ही रिवर फंट पर मौजूद पेड़ पौधे का इस्तेमाल आखिर क्यों नही किया गया. अखिलेश यादव के इस प्रोजेक्ट के लिए 1513 करोड़ रुपये व्यय हुए.
योगी सरकार के जाँच बैठाने के बाद क्या निश्र्श सामने आया, कितना भ्रष्टाचार उजागर हुआ ये तो ज्ञात नहीं लेकिन जो दिखा वो था इन हजारो पेड़ों के सूखे तने, झड़ी पत्तियों वाले मरे हुए पेड़.
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