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बाराबंकी: ऐतिहासिक विरासत है विश्व का सबसे बड़ा और पुराना कुआं

world's largest and old 'saraswati well' is Historical Legacy

world's largest and old 'saraswati well' is Historical Legacy

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में छोटीकाशी के नाम से विख्यात पुरनिया गांव का सरस्वती कूप ऐतिहासिक विरासत को संजोये हुए कई मायने में प्रशासनिक उपेक्षा का दंश झेल रहा है।

कुएं के जीर्णोद्धार करवाने पर गवानी पड़ी थी जान:

बाराबंकी जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर रामनगर बदोसराय रोड पर मरकामऊ चौराहे से करीब 1 किलोमीटर दक्षिण में ग्राम पुरनिया स्थित है.

यहां का सरस्वती कूप विश्व के विशालतम कूओं में से एक माना जाता है, जो करीब 1000 सालों से पुरनिया के नागरिकों का एकमात्र सहारा रहा है,

इसका जीर्णोद्धार सैकड़ों वर्ष पहले अवध प्रांत के एक तत्कालीन नवाब के सिपहसालार वीर इब्राहिम शाह ने करवाया था.

यह बात जब नवाब को मालूम हुई तो उसने उन्हें, उनकी पत्नी बच्चों व उनकी पालतू बिल्ली को हाथी के पैरों के नीचे कुचलवा कर मार दिया था. आज भी उनकी कब्र कुएं के पास बनी हुई है ।

सबसे बड़ा कुआं अब जर्जर अवस्था में: 

कुए के गोले का व्यास करीब 22 मीटर के आसपास है जो वर्तमान समय में काफी जर्जर हालत में पहुंच चुका है.

जहां पर घनी झाड़ियों ने कुएं के स्थान को चारों ओर से आच्छादित कर रखा हैं, जहां पर जंगली जानवरों ख़ास कर विषैले सर्प का खतरा प्रत्येक क्षण बना रहता है ।

ग्रामीणों के मुताबिक यह पाताल तोड़ कुआं है. कुएं के बहाव को कम करने के लिए लोहे के सात तावे इसमें पड़े हुए हैं.

बता दें कि पुरानिया गांव का नाम पूर्ण ग्राम है. यहां पूर्व में बड़े-बड़े विद्वान ज्ञानी ध्यानी पंडित रहते थे, जिससे कुछ लोग इस गांव को छोटीकाशी कहते थे।

इसी गाँव में बनता था काशी का प्रसिद्ध पंचांग:

कहते हैं कि प्राचीन काल में काशी का पंचांग तथा अन्य शास्त्र और ग्रंथ बाराबंकी के इसी गाँव में प्रमाणित होने के लिए आते थे. वहीं आज वर्तमान समय में ये ऐतिहासिक कार्य प्रशासनिक उपेक्षा का दंश झेल रहा है ।

गाँव की हालत भी बेहद जर्जर हैं. सड़कें खराब हैं और सुविधाओं की कमी, जिनके चलते भारत की इस ऐतिहासिक धरोहर से लोग अनभिज्ञ हैं.

वहीं इंजीनियर अरुण कुमार मिश्रा ने मुख्य रोड से सरस्वती कूप तक सीसी रोड का निर्माण कराए जाने की शासन से मांग भी की है.

क्या कहना है इनका:

उमेश त्रिपाठी ने बताया कि सरस्वती कूप की अपनी अलग ही पहचान है. समय-समय पर कई जनप्रतिनिधियों ने आकर सरस्वती कुएं को देखा परंतु इसके जीर्णोद्धार की ओर किसी का ध्यान नहीं गया.

आलम यह है कि चारों तरफ जंगली झाड़ियों ने कुए के स्थान को चारो ओर से घेर रखा है. विषैले सर्पो व जंगली जानवरों का भय बना रहता है।
रिपोर्ट-

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