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15 साल बाद किसी सीएम को याद आये ‘रामलला’!

अयोध्या, ये नाम सामने आते ही रामलला की छवि उभर आती है, वो रामलला जो एक तिरपाल के नीचे रहते हैं क्योंकि सियासत को यही मंजूर है. लेकिन इसके साथ और तारीख जुड़ गई है जिसे कोई भारतीय चाहकर भी भुला नहीं पायेगा. 6 दिसंबर 1992 को इसी जगह बाबरी मस्जिद का विवादित ढ़ांचा गिरा दिया गया था. कार सेवकों द्वारा विवादित ढ़ांचा गिरा देने के कारण देश के कई जगहों पर दंगे भड़क उठे थे और हजारों लोग इन दंगों की भेंट चढ़ गए थे.

विवादित ढांचे को गिराने के आरोप में दिग्गजों की बढ़ी मुश्किल:

इसी विवादित ढांचे को गिराए जाने को लेकर चल रहे मामले में 30 मई को सीबीआई कोर्ट में 12 लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने का आरोप तय हुआ है. इन 12 लोगों में बीजेपी के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और विनय कटियार जैसे नाम शामिल हैं. इन लोगों पर आरोप है कि मंच से ये सभी नेता कार सेवकों को भड़का रहे थे जबकि लाल कृष्ण आडवाणी ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि वो साजिश नहीं बल्कि ये तमाम लोग मंच से उन्हें रोकने की अपील कर रहे थे.

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बहरहाल, 25 साल के बाद इस मामले में 12 लोगों के खिलाफ आरोप तय हुए हैं. वहीँ राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट तक कुछ करने की स्थिति में नहीं दिखाई दे रहा है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दोनों पक्षों को आपस में बातचीत के जरिये इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए.

राजनीति के शिकार रामलला:

अब बात करते हैं बतौर सीएम योगी आदित्यनाथ के अयोध्या दौरे की, 1992 के बाबरी विध्वंस के बाद अयोध्या राजनीति का अखाड़ा बन गया, जिस रामलला को आस्था का केंद्र माना जाता है, वो रामलला राजनीति के आगे बेबस दिखाई दे रहे हैं. अयोध्या और उसके आस-पास के इलाके देखकर आप समझ सकते हैं कि सरकारें यहाँ के लोगों की दिनचर्या और सुविधाओं को लेकर कितनी उदासीन है. विकास के नाम पर अबतक कुछ खास नहीं हो सका और विवादित भूमि के नाम पर रामलला को एक छत नसीब नहीं है.

15 साल बाद सूबे के सीएमको याद आये रामलला:

2002 में जब राजनाथ सिंह सूबे के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने अयोध्या का दौरा किया था और इसके बाद अब योगी आदित्यनाथ पहुंचे हैं. अर्थात् 15 सालों में बसपा और सपा की सरकार में प्रदेश के मुखिया अयोध्या झांकने नहीं गए. मंदिर-मस्जिद विवाद के कारण आज भी यहाँ के लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं. सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए यहाँ के लोगों को हर बार नयी सरकार से उम्मीद जगती है.

सीएम योगी के सामने अयोध्या एक ‘चुनौती’:

सीएम योगी का दौरा इसलिए शायद खास माना जा रहा है क्योंकि बीजेपी के फायरब्रांड नेता के रूप में योगी आदित्यनाथ ने चुनाव के दौरान अयोध्या में राममंदिर को लेकर तरह-तरह के बयान दिए थे और सीएम योगी खुले मंच से कई बार अयोध्या में राममंदिर निर्माण की बात भी कह चुके हैं.

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योगी आदित्यनाथ के सामने राममंदिर मुद्दे के अलावा एक और चुनौती है जिससे पार पाना होगा, और वो ये कि यहाँ के लोगों को वो बुनियादी सुविधाएँ मिल सकें जिसके लिए यहाँ के लोग सालों से तरस रहे हैं. अयोध्या में विवादों से इतर भी सामाजिक ढांचे को दुरुस्त करने में योगी आदित्यनाथ कितने कामयाब होते हैं, ये तो आने वाले वक्त में मालूम होगा.

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