मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को एक साल आज पूरा हो गया। इस एक साल में योगी सरकार ने बहुत अच्छे काम किया। मुख्यमंत्री की सबसे खास बात यह है कि वे जब भी लखनऊ में होते हैं, ज्यादातर समय एनेक्सी स्थित अपने कार्यालय में ही बिताते हैं। ऐसा लंबे अरसे बाद कोई मुख्यमंत्री आया है, जो दफ्तर में लगातार बैठता है। वे लोगों मिलना, प्रजेंटेशन देखना, अफसरों की मीटिंग अपने कार्यालय में ही पसंद करते हैं। इससे सचिवालय में बैठने वाले अफसर और कर्मचारी भी सतर्क रहते हैं।

एक साल की उपलब्धियों पर एक नजर

➡प्रदेश में माफिया एवं गुंडाराज समाप्त कर कानून का राज स्थापित किया।
➡36 हजार करोड रुपए के प्रावधान से 86 लाख लघु एवं सीमांत किसानों का फसल ऋण मोचन।
➡गन्ना किसानों को 27000 करोड़ रुपए का गन्ना बकाया मूल्य का भुगतान।
➡किसानों ने 37 लाख मीट्रिक टन गेहूं की रिकॉर्ड खरीद, जो पिछले वर्ष से 4.5 गुना ज्यादा है।
➡किसानों से 42.54 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद,12620 करोड़ का भुगतान।
➡इन्वेस्टर्स समिट का सफल आयोजन, लगभग 4.70 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव।
➡प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 12.5 लाख आवासों का निर्माण।
➡101000 किलोमीटर सड़कों को गड्ढा मुक्त कर आवागमन सुगम किया।
➡परिषदीय विद्यालय में कक्षा 1 से 8 तक के 1 करोड़ 54 लाख 22 हजार बच्चों का नामांकन, प्रथम बार नि:शुल्क स्वेटर, जूता, मोजा एवं यूनिफार्म का वितरण।
➡शुचितापूर्ण ढंग से हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की परीक्षाएं संपन्न।
➡56000 मजरों का विद्युतीकरण, सौभाग्य योजना के अंतर्गत 32 लाख परिवारों को विद्युत कनेक्शन।
➡150 एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस सेवा संचालित, 92 लाख बच्चों का जेई/एईएस से बचाव के लिए प्रतिरक्षण।
➡उज्ज्वला योजना के अंतर्गत 65 लाख गरीब परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन।
➡2 लाख से अधिक युवाओं को रोजगार प्रशिक्षण प्राप्त कर प्लेसमेंट कराया।

साफ-सुथरी छवि वाले अफसरों को जिम्मेदारी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 14 साल बाद भाजपा सरकार बनने के बाद अपनी सरकार में साफ-सुथरी छवि के अफसरों को जिम्मेदारी सौंपी। आजमाने के बाद जो कसौटी पर खरे नहीं उतरे, उन्हें बदलने में भी देर नहीं लगाई। यहीं नहीं, उम्र के ढलान पर पहुंच चुके अफसरों के बजाय ज्यातार विभागों में युवा अफसरों पर भरोसा जताया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लकीर पर चलकर अच्छे अफसरों को आगे किया। शुरुआत में सभी विभागों के कामकाज को समझा, उनकी कार्ययोजना का प्रजेंटेशन देखा उनको समयसीमा के अंदर पूरा करने पर जोर दिया। इसके लिए उन्होंने कई आईएएस अफसरों को केंद्र सरकार की प्रतिनियुक्ति से वापस बुलाया। मुख्य सचिव जैसी ब्यूरोक्रेसी हेड की कुर्सी पर वर्ष 1981 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राजीव कुमार को तैनात किया।

दफ्तरों का शुरू किया था औचक निरीक्षण

कुर्सी संभालते ही सचिवालय सहित सरकारी दफ्तरों और तहसील व थानों का औचक निरीक्षण शुरू किया। दफ्तरों में साफ-सफाई और समय पर अधिकारियों और कर्मचारियों के पहुंचने को विवश किया। उन्होंने पचास की उम्र पार कर चुके अफसरों और कर्मचारियों में सही मायने में स्क्रीनिंग का डर पैदा किया। अनेक भ्रष्ट व नान परफॉर्मर अफसरों और कर्मचारियों को बर्खास्त किया। साथ ही पदोन्नति के लिए अभियान चलाया। सचिवालय सहित ज्यादातर विभागों में ऑनलाइन कामकाज से वर्क कल्चर बदला है। इससे विभागों के काम में तेजी आई है। पेपरलेस वर्क कल्चर से भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगेगा।

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