उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के एक साल पूरा होने के बाद राष्ट्रीय किसान मंच ने सरकार पर वादाखिलाफ़ी का आरोप लगाया है। मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने कहा कि योगी सरकार ने चुनाव से पहले किसानों से किया गया, एक भी वादा पूरा नहीं किया है। उत्तर प्रदेश में किसान त्रस्त है और सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है।
शेखर दीक्षित ने कहा कि किसानों से कर्ज माफ़ी सहित गन्ना किसानों के भुगतान, आलू और धान किसानों को उत्पादन लागत देने, बिजली दरें कम करने सहित किसानों से कीये गये तमाम वादे योगी सरकार ने पूरे नहीं किए। केंद्र की मोदी सरकार ने तो सत्ता में आने के बाद वैसे ही किसानों का बेड़ा गर्क कर दिया, अब राज्य की बीजेपी सरकार भी उसी ढर्रे पर चल रही ही।
पहले वादा किया, बाद में दिया धोखा
शेखर दीक्षित ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रैलियों में चिल्ला-चिल्लाकर कहा था कि अगर उनकी सरकार सत्ता में आई तो वह उत्तर प्रदेश के किसानों का कर्ज माफ़ कर देंगे। वही बीजेपी के घोषणापत्र में भी किसानों के कर्ज माफ़ी का वादा शामिल था लेकिन केंद्र सरकार ने बाद में किसानों की कर्ज माफी को लेकर किसी भी प्रकार की मदद करने से इंकार कर दिया। शेखर दीक्षित ने कहा कि योगी सरकार ने किसानों से किये गये वादे को निभाने के लिए 36 हज़ार करोड़ क़र्ज़ माफ़ करने की घोषणा ज़रूर की लेकिन ये बजट जमीनी स्तर पर हवा-हवाई रहा और किसानों का दो रुपए, पांच रुपए, अस्सी पैसे, डेढ़ रुपए जैसी राशियों की कर्जमाफी करके उनका मजाक उड़ाया गया।
गन्ना किसानों से भुगतान का वादा हवा-हवाई
शेखर दीक्षित ने कहा कि भाजपा के घोषणापत्र में सरकार आने के 14 दिन के भीतर गन्ना किसानों का सारा भुगतान कराने का वादा कीया गया था। लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी योगी सरकार ने अपना वादा पूरा नही किया है। चीनी मिलों पर किसानों का अभी भी 6 हजार करोड़ बकाया है।
आलू और धान किसानों को छला गया
शेखर दीक्षित ने कहा कि योगी सरकार ने आलू और धान किसानों से भी वादाखिलाफी की। किसानों से उनकी उत्पादन राशि देने का वादा हवा-हवाई हो गया। प्रति एक किलो आलू में किसान कि लागत 9 रुपये आ रही थी और मार्केट में आलू 2 रुपये में बिक रहा था। इसको लेकर किसानों ने विरोध करते हुए विधानसभा मार्ग पर आलू फेंका। यही हाल धान किसानों के साथ हुआ।
मोदी सरकार के बाद योगी सरकार ने भी की वादाखिलाफी
शेखर दीक्षित ने कहा कि मोदी सरकार के बाद योगी सरकार ने भी किसानों के साथ वादाखिलाफी की . नोटबंदी से आलू किसानों को भारी नुकसान हुआ। नोटबंदी से पहले नवंबर 2016 में प्रति क्विंटल आलू की क़ीमत 916 रुपए थी, जोकि दिसंबर 2016 में गिरकर महज 532 रुपए रह गई। जिससे आलू की कीमतों में 40 फ़ीसदी से ज़्यादा की गिरावट दर्ज़ की गई। मार्च 2017 आलू के दाम और घटकर 399 के स्तर पर आ गये। सरकार ने न्यूनतम निर्यात मूल्य और अनिवार्य वस्तु अधिनियम का इस्तेमाल कर आलू का बाज़ार भाव बढ़ने ही नहीं दिया।
मोदी सरकार का किसानों से सबसे बड़ा झूठा वादा
➡2022 तक कैसे होगी किसानों की आय दोगुनी, जब अभी तक कुछ नहीं हुआ।
➡2016-17 में उत्तर प्रदेश में 155 लाख टन आलू का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ।
➡लेकिन दो साल पहले की तुलना में बाज़ार मूल्य गिरकर आधा रह गया।
➡उत्पादन और कोल्ड स्टोरेज में रख-रखाव को जोड़कर प्रति किलोग्राम आलू पर किसानों की लागत 8-9 रुपए बैठती है, लेकिन बाज़ार में थोक मूल्य इस वक़्त 2 रुपए के आस-पास है।
➡किसानों को प्रति किलोग्राम 6-7 रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
➡उत्पादन के हिसाब से देखें तो हर किसान को प्रति सीजन 60 हज़ार रुपए से ज़्यादा नुकसान हो रहा है।