उत्तर प्रदेश के महोबा जिला में पहाड़ का सीना चीर कर कुछ युवाओं ने छैमाही माता मंदिर के पास लगभग 300 फुट की ऊंचाई पर पानी निकाल दिया। इसके साथ यह संदेश भी दे दिया कि आज का युवा अपने कर्तव्य से पीछे नहीं है। गणतंत्र के उत्सव में असल आहुति भी यही है। इससे पहले झारखण्ड के दशरथ मांझी ने गांव से कस्बा जाने के लिए अकेले पूरा पहाड़ खोद कर रास्ता निकाल दिया था। वहीं हमीरपुर के बाबा कृष्णानन्द ने अकेले पूरा तालाब खोद डाला था। इन युवाओं ने भी एक मिसाल पेश पर सबको हैरान कर दिया।
जानकारी के मुताबिक, जिला में 300 फुट ऊंचे जैतपुर पहाड़ पर छैमाही माता मंदिर स्थित है। मंदिर समिति के सदस्य युवाओं ने हैरतअंगेज कारनामा कर दिखाया है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को एक लोटा पानी भी अपने साथ लाना पड़ता है। कठोर ग्रेनाइट पत्थर के इस पठारी, वीरान व उजाड़ इलाके में पूजा के लिए मंदिर आने जाने वाले लोगों को फूल तक मिल पाना मुश्किल हो जाता था।
फूलों और हरियाली के लिए बरसात में कुछ पानी रुकता था तो यह युवा नीचे से पौधे लेजाकर ऊपर रगाते थे लेकिन पानी सूखने के साथ पौधे भी सूख जाते थे और इनकी पूरी मेहनत जाया जाती थी। मंदिर परिसर के आसपास कहीं भी पानी के भण्डारण के लिएकोई व्यवस्था नहीं थी।
एक माह पहले मंदिर समिति की बैठक कर युवाओं ने परिसर में एक कुण्ड बनाने का फैसला किया। कुछ दिन पहले मेला समिति के उत्साही युवा सदस्यों ने स्थान चिन्हित कर सव्वल, छेनी-हथौड़ा लेकर खुदाई शुरू कर दी। हर रोज 18-20 युवा यहां 2-3 घंटे मेहनत करने लगे, पहाड़ पर 15 फीट गहरी खुदाई होने के बाद ग्रेनाइट के फ्रैक्चर जोन से अचानक पानी के फव्वारे फूट पड़े।
खुदाई कर रहे युवाओं की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। थोड़ी ही देर में कुण्ड लवालब हो गया। अगले दिन पम्पिंग सेट लगाकर पानी खाली किया गया और युवाओं ने आगे खुदाई की कोशिश की गई लेकिन तीन स्रोतों से निकल रहीं पानी की तेज धारा के चलते आगे खुदाई के लिए पत्थर तोड़ पाना संभव नहीं हुआ।
300 फुट ऊंचाई पर बने कुण्ड में पानी के तेज श्रोत मिलने से समूचे कस्बे में कौतूहल है। लोग इसी की चर्चा कर रहे हैं। जैतपुर कस्बे में खुदाई करने पर 100 फुट गहराई पर भी पानी नहीं मिलता और पहाड़ पर महज 15 फीट खुदाई में पानी मिल गया। मेला समिति के संरक्षक डॉ. सतीश राजपूत कहते हैं कि यह शोध का विषय है।
उन्होंने कहा कि उजाड़ व वीरान पड़ा छैमाही माता मंदिर परिसर अब हराभरा हो जाएगा। उन्होंने कहा एक कुंड को संभालने के बाद अब मंदिर परिसर के आसपास अभी दो और कुण्ड बनाने की योजना बना रहे हैं। इनसे पानी भले न निकले लेकिन बरसात का पानी एकत्र कर पानी की कमी को पूरा किया जा सकता है।
पानी निकलने के बाद उत्साही युवा अब कुंड ने नीचे पानी तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बना रहे हैं। छैमाही माता मेला समिति के संरक्षक डॉ. सतीश राजपूत के अनुसार सीढ़ियों से उतर कर श्रद्धालु आराम से पानी ले सकेंगे। इसके अलावा जंगल में घूमने वाले जीव-जन्तुओं और आवारा पशुओं को पानी मिल जाएगा।
अब वह पूरे मंदिर परिसर में पौधे लगाकर हराभरा कर पाएंगे। उन्होंने बताया कि कुंड साफ करके उससे पानी ऊपर लाने के लिए कुछ और उपाय किए जाएंगे। बारिश का पानी भी कुंड में एकत्र करने की कोशिश होगी, उन्होंने कहा वैसे पहाड़ के ऊपर ऐसा स्रोत निकला है कि शायद अब गर्मियों में भी पानी की कमी नहीं होगी।