2जी स्पेक्ट्रम घोटाले (2g spectrum scam) का फैसला आज आ गया है. देश के सबसे बड़े घोटाले में से एक 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में आज सीबीआई की विशेष अदालत फैसला सुना दिया है. इस मामले में पूर्व दूरसंचार ए. राजा, द्रमुक सांसद कनिमोई और अन्य आरोपी है. मालूम हो कियह मामला 6 साल पुराना है. मामले में सीबीआई ने पहला आरोप पत्र 6 साल पहले दाखिल किया था. विशेष अदालत जिन तीन मामलों की सुनवाई कर रही है उनमें से दो सीबीआई और तीसरा प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दाखिल किया गया था.
ED विशेष सीबीआई कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देगा:
- इस फैसले पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन का बयान भी आया है.
- उन्होंने कहा कि खराब नीयत से आरोप लगाए गए थे और यूपीए सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार हुआ
- फैसला अपने आप सबकुछ बोल रहा है.
- जबकि प्रवर्तन निदेशालय सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देगा.
अरुण जेटली का ब्यान (2g spectrum scam):
- गलत तरीके से नीलामी हुई थी और इसे सुप्रीम कोर्ट ने भी प्रक्रिया को गलत माना था.
- कोर्ट के फैसले पर जांच एजेंसी गौर करेगी.
- उन्होंने कहा कि हमने नीलामी की तो ज्यादा पैसे मिले.
- फैसले को प्रमाण पत्र ना समझे कांग्रेस क्योंकि कांग्रेस की नीतियों से देश को घाटा हुआ था.
- बिना नीलामी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस दिए और 2008 में 2001 की दर से स्पेक्ट्रम दिए थे.
बरी हुए ए राजा:
- ए राजा की दोनों बेटियों समेत पूरा परिवार कोर्ट के बाहर मौजूद था.
- वहीँ कपिल सिब्बल ने कहा है कि अब मुझपर आऱोप लगाने वाले लोग भी माफी मांगे.
- डीएमके की पूर्व सांसद कनिमोझी ने कहा है कि मैं सबको धन्यवाद देती हूं.
- जबकि डीएमके समर्थकों ने ‘सत्यमेव जयते’ के बैनर लहराए.
- इस मामले में आरोपी तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा और डीएमके सांसद कनिमोझी भी सीबीआई कोर्ट पहुंच गए थे.
- इस घोटाले ने टेलीकॉम कंपनियों के अस्तित्व पर सवाल उठा दिया था.
- ए राजा को इस केस से जुड़े एक मामले में बरी कर दिया गया है.
- वहीँ 14 अन्य आरोपियों को भी बरी कर दिया गया है.
- कोर्ट द्वारा कहा गया है कि इस मामले में दूसरा पक्ष आरोप साबित करने में नाकाम रहा है.
- इस मामले में मुख्य आरोपी ए राजा थे जिन्हें बरी कर दिया गया है.
- वहीँ दो अन्य मामलों में सुनवाई जारी थी जिनमें ए राजा को बरी कर दिया गया.
- तीनों मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है.
- कोर्ट ने कहा कि दोष साबित करने के लिए सबूत पर्याप्त नहीं थे और दूसरा पक्ष बिल्कुल ही नाकाम रहा जिसके कारण सभी आरोपियों को बरी किया जाता है.