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भोपाल एनकाउंटर: ‘मानवाधिकार’ फिर आतंकियों के बचाव में!

bhopal encounter

भोपाल सेंट्रल जेल से फरार सिमी आतंकियों के एनकाउंटर पर सियासत तेज हो गई है. इस पुरे घटना का वीडियो सामने आया है जिसकी अधिकारिक पुष्टि नही हुई है. इस वीडियो में दिखाया गया है कि 8 आतंकियों की लाश पहाड़ी है. वहां पुलिसकर्मी चारों तरफ से इन आतंकियों को घेरे हुए हैं.

बता दें कि इन 8 सिमी आतंकियों को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया जब ये जेल से भाग रहे थे. इन आतंकियों ने एक हेड कांस्टेबल की गला रेतकर हत्या कर दी. एक अन्य गार्ड को भी घायल करने के बाद ये सभी जेल से भागने में कामयाब हो गए थे. पुलिस के अलर्ट के बाद चारों तरफ घेराबंदी कर दी गई थी. गांववालों की निशानदेही पर इन आतंकियों के लोकेशन के बारे में पता चल गया और पुलिस पहुँच गई. जहाँ एनकाउंटर में इनको मार गिराया गया. इनके पास से 3 देशी कट्टे, जिन्दा कारतूस और चाकू भी बरामद किया गया.

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फिर से शुरू हुई सियासत:

कई मौकों पर देखा गया है कि पुलिस और सेना की कार्यवाही को शक के दायरे में रखा जाता है. कानून और मानवाधिकार की दुहाई दी जाती है. भोपाल एनकाउंटर पर भी फिर से मानवाधिकार आयोग आगे आया है. पुरे प्रकरण पर आयोग मध्यप्रदेश पुलिस से रिपोर्ट मांग रहा है. पुलिस की कार्यवाई को संदेह की नजर से देखते हुए आयोग ने 15 दिन में रिपोर्ट देने को कहा है.

ये देश में पहला मौका नहीं है जब आतंकियों के मारे जाने के बाद मानवाधिकार आयोग इस प्रकार की दलीलें देता रहा है.  पिछली कुछ घटनाओं पर नजर डालें तो देखेंगे किस प्रकार याकूब मेमन की फांसी को लेकर भी सवाल उठाये गए थे. अफजल गुरु की सजा को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक को कठघरे में खड़ा किया गया.

इसी प्रकार बुरहान बानी नामक आतंकी के मारे जाने के बाद भी इसी प्रकार का माहौल बन गया. सेना की कार्यवाई पर कुछ लोगों ने सवाल उठाये. जबकि वो एक आतंकी था. कश्मीर इसकी आग में अभी तक सुलग रहा है. अलगाववादी बुरहान को हीरो बताते रहे हैं. यहाँ ये भी गौर करने वाली बात है कि अजमल कसाब तक को माफी देने के लिए पेटीशन पर हस्ताक्षर करने की होड़ मची थी.

ठीक इसी प्रकार भारतीय सेना के DGMO द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक की बात करने पर कुछ नेताओं और राजनीतिक दलों ने सेना पर सवाल उठाये थे. इन लोगों ने सेना से इसका सबूत भी माँगा और वीडियो जारी करने की बात की थी. आपको बता दें कि सर्जिकल स्ट्राइक एक गुप्त तरीके से किया गया हमला होता है और उसका वीडियो या किसी प्रकार का साक्ष्य आम जनता के बीच नहीं रखा जाता है. ऐसे में मानवाधिकार के नाम पर सवाल उठाना राजनीति से ज्यादा कुछ नही जान पड़ता है.

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किस पर सवाल उठा रहा है मानाधिकार आयोग:

भोपाल में मारे गए 8 आतंकी, प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी के सदस्य थे. ये खूंखार आतंकवादी कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दे चुके थे. कल भी इन्होने एक हेड कांस्टेबल का गला रेत दिया था जिसके बाद हेड कांस्टेबल की मौत हो गई थी.

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वीडियो के आधार पर पुलिस की कार्यवाई पर सवाल उठाये जा रहे हैं लेकिन इन आतंकियों को निर्दोष और मासूम करार देने के पीछे दी जाने वाली दलीलें बिल्कुल ही खोखली है और अब मानवाधिकार आयोग भी इस सियासत का हिस्सा बनता नजर आ रहा है.

 

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