हाल ही में नोटबंदी के बाद पूरे देश में हडकंप मच गया है. जिसके बाद इसका सीधा असर आने वाले चुनावों में देखने को मिलेगा. पश्चिम बंगाल में दो लोकसभा सीटों एवं एक विधानसभा सीट के लिए शनिवार को उपचुनाव कराये जाएंगे, केंद्र सरकार के नोटबंदी के निर्णय के बाद यह देश में पहले चुनाव होंगे.
पार्टियों ने खड़े किये अपने उम्मीदवार :
- उपचुनाव कूच बिहार एवं तमलुक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों और मोंटेश्वर विधानसभा क्षेत्र में होंगे.
- सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, वाम मोर्चा और कांग्रेस ने इन तीनों सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किये हैं.
- हालांकि इससे पहले कांग्रेस और माकपा नीत वाम मोर्चा ने एक साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था.
- परंतु अब दोनों ने इस उपचुनाव में अलग-अलग लड़ने का फैसला किया है.
- उपचुनाव के प्रचार अभियान के आखिरी चरण में नोटों का चलन बंद होना मुख्य मुद्दा बन गया है.
- गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इन उपचुनावों के लिए प्रचार नहीं किया है.
- उन्होंने यह जिम्मेदारी पार्टी के अन्य नेताओं पर छोड़ दी है.
- वहीं बीजेपी के लिए अध्यक्ष दिलीप घोष व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने भी पार्टी के प्रचार में अहम भूमिका निभाई है.
- तृणमूल के विधायक दिव्येंद्र अधिकारी के अनुसार नोटबंदी से देश का प्रत्येक नागरिक प्रभावित हुआ है.
- इसके अलावा नोटबंदी से पार्टियों का चुनाव प्रचार भी प्रभावित हुआ है.
- तमलुक में बहुत से ग्रामीण इलाकों में अब भी बैंकिंग सुविधा नहीं है.
- कांग्रेस नेताओं के अनुसार पार्टियों के लिए नोटबंदी अचानक चुनावी मुद्दा बन गया है.
- लोग इस नये आदेश के कारण परेशानी पैदा होने की शिकायत कर रहे हैं.
- वहीं दूसरी ओर भाजपा ने कहा है कि ये उपचुनाव सभी पार्टियों के लिए अग्निपरीक्षा की तरह हैं.
- प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि बंगाल के लोग इस फैसले से खुश है.