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बजट 2018: कृषि से जुड़े इन मुद्दों पर करना होगा ठोस एलान

budget 2018 agricultural issues

budget 2018 agricultural issues

मोदी सरकार ने आने वाले 2019 चुनाव के लिए भले ही अपनी कमर कसनी शुरू कर दी है. वहीँ आम बजट 2018 मौजूदा सरकार का आखि‍री फुल बजट होगा और किसानों की बदहाल हालत को देखते हुए अगर बजट में इन अहम् मुद्दों पर ठोस ऐलान होता है, तो किसानों को ये बड़े फायदे मिल सकते हैं. क्‍योंकि बहुत हद तक मुमकि‍न है कि 2019 में चुनाव की वजह से वोट ऑन एकाउंट पेश हो. अब ऐसे में कृषि सुधार से जुड़े कुछ ऐसे जरूरी मुद्दे हैं, जि‍नपर बजट में ठोस एलान होना चाहि‍ए. बता दें कि इस बजट में केद्र सरकार को एग्रीकल्‍चर मार्केटिंग में सुधार के लि‍ए गंभीर कदम उठाने होंगे ताकि ग्रामीण अर्थव्‍वस्‍था को लाभ पहुंच सके और आम ग्रामीण को उसकी जिंदगी में एक सकारात्‍मक बदलाव महसूस हो सके.

आपको बता दें कि देश में किसानो की बदहाल हालत को देखते हुए मोदी सरकार का आने वाला आखिरी फुल बजट किसानो के लिए काफी महत्व रखता है.

भले ही 60 फीसदी बच्चों और महिलाओं में पोषण की कमी हुई है, लेकिन हर साल वेस्ट हो रहे 30 फीसदी से ज्यादा भोजन की तरफ भी ध्यान देना जरूरी है.

वहीँ देख जाए तो कि‍सानों की आय कंज्‍यूमर की फूड सिक्‍योरि‍टी से जुड़ी है और ऐसे में इसके बावजूद ग्रामीण इलाकों में बढ़ती बेरोजगारी देश के लिए एक जटिल समस्या बनती चली जा रही है और इसलि‍ए अब यह बेहद जरूरी हो गया है कि हम जमीनी हीककत को स्‍वीकार करें और उसी हि‍साब से प्‍लानिंग करें.

1- बनाया जाए एग्रीबि‍जनेस नॉलेज नेटवर्क:

आपको बता दें कि खेतीबाड़ी से जुड़े सभी वि‍भागों और यूनिवर्सिटी की समीक्षा करना अब बेहद जरूरी हो गया है. अब ऐसे में हर यूनि‍वर्सि‍टी और रिसर्च व डेवलपमेंट सेंटर में कम से कम 51 फीसदी भागीदारी खेतीबाड़ी से डायरेक्‍ट जुड़े लोगों की होनी चाहि‍ए.

इसके साथ ही हर स्‍टेट यूनिवर्सि‍टी के पास उस इलाके की कम से कम तीन 3 मुख्‍य फसलों और एक पशु की जिम्‍मेदारी भी होनी चाहिए.

वहीँ फसलों के संबंध में जानकारी छोटे स्‍तर पर लोगों तक पहुंचाने के लिए इन यूनि‍वर्सि‍टी की जिम्‍मेदारी होगी. इससे‍ कि‍सानों अच्‍छी उपज मिलेगी और किसान खुशहाल होगा.

2- एग्रीबि‍जनेस इनफॉर्मेशन नेटवर्क:

आपको बता दें कि इस बजट में सरकार को 1000 परफॉर्मेंस सेंटर के र्नि‍माण के लि‍ए 5000 करोड़ रुपए का आवंटन करना होगा और ये सभी सेंटर ट्रेनिंग, सॉइल टेस्‍टिंग और फूड टेस्‍टिंग के लि‍ए लैब की ग्रेडिंग करने सहि‍त अन्‍य सेवाएं मुहैया करने का कम करेंगे.

वहीँ इन सभी सेंटरों को संभालने का जिम्‍मा कॉपरेटि‍व्स, फूड प्रोड्यूसर्स ऑर्गनाइजेशन और स्‍थानीय स्‍टेक होल्‍डर्स के हाथ में होना चाहिए और इसे यूजर चार्ज की मदद से ऑपरेट कि‍या जाना चाहिए.

बता दें कि इन सभी केंद्रों को एग्री सर्वि‍स नेटवर्क से जोड़ा जा सकता है. खरीददार और  कि‍सान को एक दूसरे से मि‍लाने के लि‍ए इन्‍हें अन्‍य मार्केट प्‍लेटफॉर्म से जोड़ दि‍या जाए.

3- वेयरहाउसिंग इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर ग्रीड:

आपको जानकर हैरानी होगी हमारे देश में हर साल करीब 1 लाख करोड़ से भी ज्यादा का भोजन बेकार हो जाता है और अगर यही भोजन कम से कम 50 फीसदी स्‍टोर करने की क्षमता हमारे पास हो, तो इसका फायदा देश के नागरिकों को होगा और इससे कि‍सान के ऊपर अपनी उपज बेचने की मजबूरी नहीं रहेगी. बता दें कि किसान अपनी उमाज को सही समय पर मार्केट के हि‍साब से बाजार में लाने को स्‍वतंत्र होगा.

इस काम से भोजन की महंगाई दर पर भी काबू पाया जा सकता है और हमारा मकसद ये होना चाहि‍ए कि स्‍टोरेज की कमी के चलते भोजन बर्बाद न हो. देश की सभी स्‍टोरेज फैसेलि‍टी को नेशनल वेयरहाउसिंग ग्रि‍ड से जोड़ दि‍या जाए.

ये भी पढ़ें, बजट 2018- बैंकों में जमा पैसे पर मिल सकती है राहत

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