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कैशलेस इंडिया से भारतीय हो रहे कंगाल, ऑनलाइन लेन-देन में 25 फीसदी बढ़ा खतरा

जैसे जैसे भारत आगे बढ़ता जा रहा है और यहाँ के लोग डिजिटल इंडिय को अपना रहे है. इससे लोगों को यही लगता है कि भारत डिजिटल मामले में काफी तरक्की कर रहा है. लेकिन क्या आपको पता है, ऑनलाइन होते भारतीय कंगाल हो रहे हैं.

24 फीसदी भारतीय ऑनलाइन लेन देन में धोखाधड़ी का शिकार:

चार में से एक भारतीय धोखाधड़ी का शिकार हो रहा है। वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी की रिपोर्ट में पता चला है कि भारतीयों के ऑनलाइन अधिक सक्रिय होने की वजह से धोखाधड़ी का शिकार होने के मामले भी 25 फीसदी अधिक हो गया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि चार में से एक ग्राहक के ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार होने का जोखिम बढ़ गया है।

रिपोर्ट की माने तो 24 फीसदी भारतीय ऑनलाइन लेनदेन के दौरान सीधे तौर पर फर्जीवाड़े के शिकार होते हैं और दूरसंचार (57 फीसदी), बैंक (54 फीसदी) तथा रिटेलर्स (46 फीसदी) जैसे क्षेत्र इसके सबसे बड़े भुक्तभोगी हैं।

इसके अलावा, भारतीय बैंकों (50 फीसदी) के साथ डाटा साझा करने में सबसे ज्यादा सहज महसूस करते हैं, जबकि ब्रांडेड रिटेलर्स (30 फीसदी) के साथ सबसे कम। ऑनलाइन अधिक सक्रिय औसतन 65 फीसदी लोगों ने मोबाइल से भुगतान को अपना लिया है, क्योंकि वे इसे सुविधाजनक मानते हैं।

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नोट बंदी के चलते इंडिया बहुत ही कम टाइम में कैशलेस इंडिया बन गया है, लेकिन यहाँ के लोगो का डिजिटल होना उन्हीं पर अब भारी पड़ रहा है. हर व्यक्ति रोज़ कई लेनेदेन डिजिटल मीडिया से करता है. जिनमे से कई लोगो को धोखाधड़ी का शिकार होना पड़ रहा है.

देश में मात्र छह फीसदी उपभोक्ता ही सेवा प्रदाताओं को दिए जाने वाले डाटा पर सोच-समझकर निगाह रखते हैं, जबकि जापान के लिए यह आंकड़ा आठ फीसदी है।

ख़बरों की माने तो भारतीय लोग विभिन्न सेवा पेशकशों का फायदा उठाने के लिए भी अपने निजी डाटा (51 फीसदी) को बिना किसी झिझक के साझा करते हैं। जिस वजह से धोखाधड़ी और भी बढ़ रही है.

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