दिल्ली हाई कोर्ट के मुताबिक दोषियों के प्रति अनावश्यक सहानुभूति दिखाने से लोगों का कानून पर भरोसा कम होगा।
दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला-
- उच्च न्यायालय दिल्ली जस्टिस एसपी गर्ग ने 45 वर्षीय व्यक्ति की सजा कम करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है।
- इसके साथ ही हाई कोर्ट ने अपने पूर्व नियोक्ता की बहू से बलात्कार और उसकी हत्या की कोशिश के प्रयास में दोषी की निचली अदालत द्वारा सुनाई गई 10 साल की सजा को बरकरार रखा है।
- कोर्ट ने कहा कि अपर्याप्त सजा देने से समाज के लिए एक गंभीर खतरा है।
- यह सहन करने योग्य नहीं है।
- जस्टिस ने कहा कि हर अदालत का कर्तव्य है कि वह अपराध की प्रकृति समझकर दोषी को सजा दे।
- उन्होंने कहा कि दोषी ने किस प्रकार से अपराध को अंजाम दिया है उसके अनुरूप सजा दे।
- निचली अदालत ने एक व्यक्ति को पीड़िता से बलात्कार के लिए 10 साल की जेल और हत्या की कोशिश के आरोप में सात साल की सजा सुनाई थी।
- हाई कोर्ट ने आरोपी की सजा कम करने वाली याचिका को खारिज़ कर दिया है।
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