इस साल 16 नवंबर से 16 दिसंबर तक चलने वाला शीतकालीन सत्र पूरी तरह से नोटबंदी की भेंट चढ़ गया. नतीजा यह हुआ कि पिछले 15 वर्षों में इस सत्र में सबसे ज्यादा हंगामा और सबसे कम काम हुआ.
111 घंटो में से 92 घंटे हुए बर्बाद :
- हाल ही में हुए संसद के शीतकालीन सत्र को ख़त्म हुए एक दिन हुआ है जिसके बाद एक चौकाने वाली खबर आ रही है
- PRS लेजिस्लेटिव रिसर्च के आंकड़ों के मुताबिक लोकसभा के पास कामकाज के लिए 111 घंटे उपलब्ध थे.
- परंतु उसमें से केवल 19 घंटे काम हुआ और बाकी 92 घंटे केवल बर्बाद हुए हैं.
- इसी तरह राज्यसभा में मोटे तौर पर 108 घंटे कामकाज के लिए निर्धारित थे
- परंतु केवल 22 घंटे काम हुआ और 86 घंटे बर्बाद पूरी तरह से हंगामे की भेट चढ़ गए हैं.
- यानी काम के लिहाज से दोनों सदनों में क्रमश: 15.75 प्रतिशत और 20.61 प्रतिशत काम हुआ.
- प्रश्नकाल में लोकसभा में 11 % सवालों के जवाब दिए गए तो राज्यसभा में महज 0.6 % जवाब दिया गये.
- कुल मिलाकर यदि कहा जाए तो लोकसभा ने काम के लिए निर्धारित एक घंटे के बदले पांच घंटे गंवाए.
- वहीं राज्यसभा में एक घंटे के बदले चार घंटे का समय बर्बाद हुआ.