हिन्दुस्तान के इतिहास में गुजरात हाई कोर्ट ने दिया एक ऐतिहासिक फैसला किया है । गुजरात हाई कोर्ट में जस्टिस वीरेन वैष्णव और जस्टिस अली कुरैशी कि पीठ ने 19 वर्षीय हिन्दू लड़की और 20 वर्षीय मुस्लिम लड़के को लव-इन -रिलेशनशिप में रहने की अनुमति दे दी है। बता दें कि ये दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे जहाँ इन दोनों में प्यार हो गया। लेकिन लड़की के घर वालों द्वारा इन्हें अलग किये जाने के बाद लड़के ने अपने परिवार के साथ मिल कर अदालत का दरवाज़ा खटखटाया। जिसके बाद अदालत ने ये ऐतिहासिक फैसला दिया हैं।
हाई कोर्ट ने फैसले पीछे दिया ये तर्क
- गुजरात HC ने एक ऐतिहासित फैसला देते हुए हिन्दू लड़की और मुस्लिम लड़के को लव-इन -रिलेशनशिप की अनुमति दे दी।
- बता दें कि दोनों के उम्र 19 और 20 साल है।
- दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे जहाँ इन्हें प्यार हो गया।
- लड़की के घर वालों ने जब दोनों को अलग कर दिया ।
- तो लड़के ने अपने परिवार के साथ मिल कर अदालत में गुहार करते हुए हैबियस कॉर्पस पेटिशन डाला।
- जिसके बाद कोर्ट के नोटिस पर लड़की को पुलिस ने कोर्ट में हाजिर किया गया।
- जहां लड़की ने बयान दिया कि वह अपने परिवार वालों के साथ नहीं रहना चाहती है।
- जिसके बाद गुजरात हाई कोर्ट ने लव-इन -रिलेशनशिप में रहने का ये ऐतिहासिक फैसला दिया।
- जस्टिस अली कुरैशी और जस्टिस वीरेन वैष्णव की पीठ ने लव-इन -रिलेशनशिप में रहने की अनुमति देते हुए कहा,
- ‘हमारा समाज शादी जैसे पवित्र बंधन के लिए तमाम तरह के दबाव बनाता है।’
- अदालत ने कहा कि “लिव-इन-रिलेशनशिप के कई उदाहरण हमारे सामने मौजूद हैं और कई शहरों में चलन में भी है।’
- कोर्ट ने कहा कि ” हमें यह भी ध्यान देना है कि हम एक व्यस्क पर वहां रहने के लिए दवाब नहीं बना सकते जहां उसके रहने की इच्छा नहीं हो। ‘
- ‘इसी तरह हम उस लड़की को भी अपने पार्टनर के साथ रहने से नहीं रोक सकते। ‘
- ‘जो इस काबिल है कि वह अपनी पसंद और नापसंद का फैसला लेने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो चुकी है। ‘
- बता दें कि भारतीय कानून के हिसाब से शादी के लिए लड़के कि आयु कम से कम 21 और लड़की की 18 होनी चाहिए।
- इसलिए कोर्ट ने लड़के से कहा कि वह एक ऐफिडेफिट जमा करे।
- जिसमें यह कहा गया हो कि 21 साल पूरा होने पर वह लड़की से शादी कर लेगा।
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