हरे कृष्णा डायमंड एक्सपोर्ट्स के मालिक घनश्याम ढोलकिया के बेटे हितार्थ ढोलकिया दुनिया के एशो-आराम छोड़कर आम आदमी की जिंदगी की कठिनाइयों और तकलीफों का सामना किया।
बेटे ने पूरी की पिता की चुनौती-
- हरे कृष्णा डायमंड एक्सपोर्ट्स 6,000 करोड़ की कंपनी है और 71 देशों में फैली हुई है।
- हितार्थ ढोलकिया घनश्याम ढोलकिया के सातवें लड़के है।
- हितार्थ ढोलकिया ने न्ययॉर्क से मैनेजमेंट की पढ़ाई की है।
- फैमिली बिजनेस में आने से पहले उनके पिता ने उनसे बिना परिवार का नाम इस्तेमाल किए और मोबाइल फोन से दूर जाकर रहने को कहा।
- तकि वह जिंदगी के संघर्षों का अनुभव ले सके।
- हितार्थ के पिता ने उन्हें 500 रुपये और एक फ्लाइट टिकट दिया।
- लेकिन यह नहीं बताया कि उन्हें जाना कहां है।
- घर से बाहर निकलने के बाद उन्होंने टिकट देखा तो उन्हें मालूम पड़ा कि उन्हें हैदारबाद में एक आम जीवन जीना है।
4 सप्ताह में की 4 नौकरियां-
- उन्होंने सड़क किनारे ढ़ाबों पर खाना खाया।
- हितार्थ ने सिकंदराबाद में पैकेजिंग यूनिट में काम किया।
- वो एक महीने तक सिकंदराबाद में रहे और एक कमरे में कई अन्य कर्मचारियों के साथ रहे।
- सबसे पहले उन्होंने मैकडॉनल्ड में जॉब की।
- इसके बाद हितार्थ ने एक मार्केटिंग कंपनी में डिलिवरी बॉय का काम किया।
- हितार्थ ढोलकिया शू कंपनी में सेल्समैन भी बने।
- ऐसे कर उन्होंने अपने पिता की चुनौती के अनुसार 4 सप्ताह में 4 नौकरियां की।
- और महीने के अंत तक 5000 रुपये कमाए।
- इस दौरान उन्होंने कहीं भी अपनी पहचान नहीं बताई।
- 30 दिन बाद उन्होंने अपने परिवार को सूचना दी कि वो कहां रह रहे है।
परिवार की है परंपरा-
- ढोलकिया पिरवार की परंपरा है कि बच्चों को विलासितापूर्ण जीवन से अलग चुनौतियों और संघर्ष का एहसास कराने के लिए बाहर भेजना।
- बता दें कि पिंटू तुलसी भाई ढोलकिया ने सबसे पहले असल जीवन का अनुभव लिया था।
- अब पिंटू हरि कृष्णा एक्सपोर्ट के सीईओ है।