भारत ने चीन के विरोध को दरकिनार करते हुए वियतनाम को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बेचने का निर्णय लिया है, उम्मीद की जा रही है कि रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर के सिंगापुर और वियतनाम के पांच दिवसीय यात्रा के दौरान इस डीम पर अंतिम फैसला हो जाएगा। वहीं, वियतनाम के रक्षा अधिकारियों को उम्मीद है भारत के साथ उसके अच्छे संबंधों को देखते हुए भारत इस डील पर जल्द ही मुहर लगा देगा।
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वहीं भारतीय जानकारों का पक्ष है कि एशिया में चीन के बढ़ते दबदबे को खत्म करने के लिए भारत ने वियतनाम को ब्रह्मोस मिसाइल बेचने का फैसला लिया है।
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रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से खबर है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने इस सौदे के लिए मंजूरी दे दी है।
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मालूम हो कि वियतनाम पिछले पांच साल से भारत से ब्रह्मोस मिसाइल की मांग कर रहा है, लेकिन पिछली सरकार ने चीन के विरोध को देखते हुए वियतनाम को यह मिसाइल नहीं दी थी।
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यह मिसाइल दुनिया की सबसे तेज एंटी शिप मिसाइल है, इसे भारत और रूस ने मिलकर तैयार किया है। यह विश्व की सबसे ताकतवर मिसाइलों में से एक है।
मोदी सरकार की विदेश नीति में बड़ा बदलावः
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अब वर्तमान एनडीए सरकार द्वारा इस रक्षा मसौदे को हरी झण्डी देना मोदी सरकार की विदेश नीति में बड़ा बदलाव माना जा रहा है।
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दक्षिण चीन सागर विवाद में चीन के विरोधी माने जाने वाले वियतनाम को मिसाइल देने का फैसला करके भारत ने अपनी विदेश नीति में बड़े बदलाव का संकेत दिये हैं।
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भारत की बदली हुई विदेश नीति के साथ चीन सामंजस्य नहीं बिठा पा रहा है, और एशिया के कई देशों में उसकी पकड़ कमजोर हुई है। पिछले कुछ दिनों में चीन के साथ कई मुद्दों पर भारत की तल्खी सामने आई है।
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पाकिस्तान में मौजूद आतंकी अजहर मसूद को यूएन से बैन कराने की भारत की कोशिशों को चीन ने करारा झटका दिया था।