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पीएम मोदी का चीन दौरा होगा ख़ास, आज होंगे दो दिवसीय दौरे पर रवाना

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम चीन की दो दिवसीय यात्रा पर रवाना होंगे। इस दौरान पीएम मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ वुहान शहर में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे । पीएम के इस दौरे से भारत-चीन के बीच सम्बन्धों में सुधार की सम्भावना जताई जा रही है. 

PM मोदी और चीनी राष्ट्रपति करेंगे अनौपचारिक शिखर सम्मेलन:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपनी दो दिवसीय यात्रा के लिए चीन रवाना होंगे। जहां वे अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। सभी प्रोटोकॉल तोड़ते हुए वुहान में अभूतपूर्व शिखर सम्मेलन की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। इस सम्मेलन की मेजबानी खुद राष्ट्रपति शी चिनफिंग करेंगे। वे पहली बार इस तरह के शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहे हैं, इसलिए सबको इससे काफी उम्मीदें हैं।

बता दें कि 1954 के बाद पहली बार अनौपचारिक चर्चा होने जा रही है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने रविवार को भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पीएम मोदी के चीन दौरे के बारे में बताया।

उन्होंने कहा, ‘हम यह सुनिश्चित करेंगे कि अनौपचारिक शिखर सम्मेलन चीन-भारत संबंधों में सफलता लाएगा और एक मील का पत्थर साबित होगा।’

पिछले साल डोकलाम को लेकर दोनों देशों के बीच तनातनी का माहौल बना रहा। ऐसे में इस अनौचारिक शिखर सम्मेलन को भारत-चीन के संबंधों में सुधार के रूप में देखा जा रहा है।

गौरतलब है कि पिछले साल जून और अगस्त के बीच सिक्किम सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच तनातनी देखने को मिली थी। दरअसल, पिछले दिनों सिक्किम सेक्टर के डोंगलांग में चीन की ओर से सड़क बनाने का भारतीय सैनिकों ने विरोध किया था। इसके बाद चीनी सैनिकों ने सिक्किम सेक्टर में भारत के दो बंकरों को तोड़ दिया। चीन इसे अपनी सीमा में बता रहा है। भारतीय सैनिकों ने चीनी सेना की इस कार्रवाई की विरोध किया। तब से अबतक दोनों देशों के हजारों सैनिक आमने-सामने खड़े हैं

भारत-चीन के बीच इन 10 मुद्दों को लेकर है विवाद:

-विवाद की सबसे बड़ी वजह है सीमा:

भारत- चीन के बीच हजार कि.मी की सीमा है जो कि निर्धारित नहीं है। इसे LAC कहते हैं। भारत और चीन के सैनिकों का जहां तक कब्जा है वही नियंत्रण रेखा है। जो कि 1914 में मैकमोहन ने तय की थीलेकिन इसे भी चीन नहीं मानता और इसीलिए अक्सर वो घुसपैठ की कोशिश करता रहता है।

दूसरी अहम वजह :

अरुणाचल प्रदेश- चीन अरुणाचल पर अपना दावा जताता है और इसीलिए अरुणाचल को विवादित बताने के लिए ही चीन वहां के निवासियों को स्टेपल वीजा देता है जिसका भारत विरोध करता है।

क्या है स्टेपल वीजा:

स्टेपल वीजा में जो देश वीजा देता है वह पासपोर्ट में वीजा की अनुमति के लिए स्थायी मोहर न लगा कर अलग से एक वीजा दस्तावेज को पासपोर्ट में स्टेपल कर देता है। ऐसा करने से वीजा पाने वाला जिस देश का नागरिक होता है उस देश को पता ही नही चलता के व्यक्ति कितनी बार और कितने समय के लिए देश से बाहर गया था।

तीसरी वजह : 

अक्साई चिन रोड- लद्दाख में इसे बनाकर चीन ने नया विवाद खड़ा किया।

विवाद की चौथी वजह : 

चीन का जम्मू-कश्मीर को भारत का अंग मानने में आनाकानी करना।

पांचवीं वजह :

पीओके को पाकिस्तान का भाग मानने में चीन को कोई आपत्ति न होना।

छठी वजह :

पीओके में चीनी गतिविधियों में इजाफा। हाल ही में चीन ने यहां 46 बिलियन डॉलर की लागत का प्रोजेक्ट शुरू किया है जिससे भारत खुश नहीं है।

सातवीं वजह:

 तिब्बत। इसे भारतीय मान्यता से चीन खफा रहता है।

विवाद की आठवीं वजह:

 ब्रह्मपुत्र नदी- दरअसल यहां बांध बनाकर चीन सारा पानी अपनी ओर मोड़ रहा है जिसका भारत विरोध कर रहा है।

विवाद की नौवीं वजह:

 हिंद महासागर में तेज हुई चीनी गतिविधि।

विवाद की दसवीं वजह :

 साउथ चाइना सी में प्रभुत्व कायम करने की चीनी कोशिश।

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