नोटबंदी के बाद से केंद्र सरकार की तरफ से लगातार कैशलेस लेनदेन, डिजिटल पेमेंट और ई-पेमेंट को बढ़ावा दिया जा रहा है। लेकिन सवाल ये उठता है की ये लेनदेन कितना सुरक्षित है। नोटबंदी के बाद जितनी तेज़ी से लोग कैशलेस लेनदेन की तरफ बढ़ रहे हैं उतनी ही तेज़ी से साइबर क्राइम में भी इजाफा देखने को मिल रहा है। प्रधानमंत्री कैशलेस सोसायटी के लिए डिजिटल पेमेंट को भले ही बढ़ावा दे रहे हैं लेकिन ये भी सच है कि देश में कोई ठोस साइबर कानून नहीं है। हैकर्स के निशाने पर आमतौर पर पहले कुछ मेट्रो शहर हुआ करते थे लेकिन अब वह देश के दूरदराज गांव-कस्बों तक पहुंच गए हैं। जहाँ वो महेज़ एक काल से खाली कर देते हैं लोगों के अकाउंट । बता दें की देश भर में साइबर क्राइम के सबसे बड़े गढ़ का खुलासा हुआ है।
झारखंड मे है ऐक ऐसा गाँव जिसमे रहते है सिर्फ ‘CYBER CRIMINALS’
- पुलिस को साइबर क्राइम के सब से बढे गढ़ का पता लगा है जहाँ रहते हैं सिर्फ साइबर अपराधी।
- झारखंड की राजधानी रांची से 250 km दूरी पर है जिला जामताड़ा।
- जामताड़ा से महेज़ 20 किमी दूर बसा गाँव करमाटांड है देश के सबसे बड़े साइबर अपराधीयों का अड्डा।
- बता दें की देश के आधे से ज्यादा राज्यों से पुलिस यहाँ जा चुकी है।
- लेकिन इस इलाके में जाने से पुलिस भी खौफ खाती है।
- साल 2012-2013 में करमाटांड छोटी मोटी चोरी करने वालों का गढ़ था।
- लेकिन वक़्त के साथ साथ करमाटांड अब साइबर अपराधीयों का गढ़ बन गया है।
- गौर करने की बात तो ये है कि यहाँ साइबर अपराधों से जुड़े ये लोग बहुत ज्यादा पढ़े लिखे नही हैं।
- लेकिन महेज़ तकनीक के जरिये ये लोग के बड़े से बड़े साइबर अपराध को अंजाम दे सकते हैं।
- साइबर कानून के जानकारों की माने तो भारत में डिजिटल पेमेंट और ई-वॉलेट पूरी तरह सुरक्षित नहीं है।
- ना ही सरकार के द्वारा डिजिटल पेमेंट को कानूनी मान्यता नहीं दी गई है।
- ज्ञातव्य हो कि चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया टीएस ठाकुर ने भी कहा था कि “डिजिटल भुगतान तंत्र अपनाने के लिए भारत सरकार द्वारा दिए जा रहे प्रोत्साहन से निस्संदेह रूप से जटिल कानूनी मुद्दे बढ़ेंगे।’’
- उन्होंने ये भी कहा था कि इसके लिए साइबर कानून के जानकार वकीलों और न्यायाधीशों की जरूरत भी पड़ेगी।”
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