कुछ दिन पहले जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य छात्रों का वीडियो सोशल मीडिया में काफी वायरल हुआ था। 9 फरवरी के इस वीडियो में जेएनयू के कुछ छात्र संसद हमले के दोषी अफजल गुरु और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट(जेकेएलएफ) के को-फाउंडर मकबूल भट्ट की बरसी मनाने के लिए इकट्ठा हुए थे। इसी दौरान उन छात्रों ने देश विरोधी नारे भी लगाए। 10 फरवरी को नारेबाजी का वीडियो सामने आने के बाद दिल्ली पुलिस ने 12 फरवरी को देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया। इस सिलसिले में जेएनयू स्डटूडेंट्स यूनियन के प्रेसिडेंट कन्हैया कुमार को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
जेएनयू विवाद की मुख्य वजह रहे उन सात वीडियो को दिल्ली सरकार के आदेश पर हैदराबाद की फॉरेंसिक लैब में जाँच के लिए भेजा गया था, जिसकी रिपोर्ट आ गई रिपोर्ट में कुछ चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक उन सात वीडियो में दो ऐसे वीडियो हैं जिनके साथ छेड़छाड़ की गई। दो वीडियो में जो शख्स दिखाई नहीं दे रहे, उनकी आवाज अलग से जोड़ी गई है। इसमें दो वीडियो को एक साथ मिलाकर एक नया वीडियो तैयार किया गया था। जिसकी लैब जांच में पुष्टि भी हो गई।
आज के समय में तकनीकी जानकारों द्वारा फोटोशाप और वीडियो एडिटिंग सॅफ्टवेयर की मदद से तस्वीरों और वीडियों में कई प्रयोग किये जा सकते हैं। जैसा कि इन वीडियो में सामने आया है।
कन्हैया की जमानत अर्जी पर आज, बुधवार को सुनवाई होगी। माना जा रहा है कि इन रिपोर्ट के सामने आने के बाद अदालत का फैसला कन्हैया के पक्ष में आ सकता है।
इससे पहले हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस, दिल्ली सरकार व कन्हैया कुमार के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद सोमवार को फैसला सुरक्षित रख लिया था। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा था कि उनके मुव्वकिल के खिलाफ दिल्ली पुलिस के पास कोई साक्ष्य या वीडियो नहीं है।
जस्टिस प्रतिभा रानी ने सोमवार को कन्हैया कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुये दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई थी। हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा था कि क्या उसके पास कन्हैया कुमार के नारेबाजी वाला वीडियो या कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य है। इसके जवाब में पुलिस ने कोई वीडियो या प्रत्यक्ष साक्ष्य न होने की बात कही थी इसी मामले में आरोपी उमर खालिद व अनिर्बान भट्टाचार्य को दिल्ली की एक कोर्ट ने मंगलवार को 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।