देश में चुनाव सुधार के संबंध में प्रधानमंत्री मोदी की सलाह पर केंद्र सरकार गंभीरता से काम कर रही है। केंद्र सरकार इस बार लोकसभा चुनाव के साथ ही राज्यों के विधानसभा चुनाव करवाने का मन बना रही है। प्रधानमंत्री मोदी के बाद अब राष्ट्रपति ने भी इस पर जोर दिया है। राष्ट्रपति पीएम मोदी के इस विचार से सहमत हैं। इससे पहले राष्ट्रपति ने चुनाव सुधार की बात करते हुए कहा कि आचार संहिता में अब बदलाव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी दलों को इसमें विचार करना चाहिए।
- राष्ट्रपति की सहमति के बाद अब इस मामले में जनता की राय मांगी जाएगी।
- जनता के साथ ही सभी क्षेत्रों के सांसद और विधायक की राय को भी महत्व दिया जाएगा।
- सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार इस फैसले को लेकर केन्द्र सरकार कुछ गंभीर नजर आ रही है।
- हालांकि यह तभी संभव हो सकता है जब चुनाव आयोग के नेतृत्व में सभी राजनैतिक दल एकजुट होकर इस विषय पर विचार करेंगे।
- सरकार का कहना है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ आयोजित करवाने से कई फायदे हो सकते हैं।
- इससे 10 से 15 दिन के भीतर चुनाव का सारा काम पूरा हो जाएगा और अगले 5 साल देश अबाध गति से चलता रहेगा।
- दोनो चुनाव एक साथ होने के वोटर्स का उत्साह भी बरकरार रहेगा।
- साथ ही देश को बार-बार होने वाले चुनावों से निजात मिल जाएगा।
- इससे राजनैतिक पार्टियों का पैसा और समय दोनों ही बच सकते हैं।
- इसके अलावा आचार संहिता का भी एक ही बार में अनुपालन हो सकता है।
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सरकार ने मांगी जनता की रायः
- इस विषय को लेकर सरकार ने बुधवार शाम अपने माय जीओवी प्लेटफॉर्म पर एक ऑनलाइन पोस्ट भी डाली है।
- इसके माध्यम से सरकार लोगों की राय भी जानना चाहती है।
- बता दें, कि अगले लोकसभा चुनाव 2019 में होने हैं।
- वहीं 5 राज्यों में 2017 में विधानसभा चुनाव होने हैं।
- 13 राज्यों में 2018 में, 9 राज्यों में 2019 में चुनाव प्रस्तावित है।
- ये सभी चुनाव साथ में करवाने के लिए बहुत से बड़े बदलाव करने पड़ सकते हैं।
- अब इस मामले में सरकार देशवासियों से उनकी राय मांग रही है।
- मालूम हो कि, इससे पहले 1951-52, 1957, 1962 और 1967 में एक साथ चुनाव हुए थे।