संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार ट्रिपल तलाक बिल को पारित नहीं करा सकी थी. केंद्र सरकार मुस्लिम महिलाओं के हक़ के लिए लगातार बीते कुछ समय से आवाज़ उठा रही है, वहीँ शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार ने ट्रिपल तलाक को खत्म करने के लिए प्रस्ताव पेश किया था, जिसके बाद लोकसभा में ट्रिपल तलाक पर कानून को मंजूरी मिल चुकी है. राज्यसभा में ये बिल पारित नहीं हो सका है. वहीँ सरकार के रवैये को देखते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी अब मॉडल निकाहनामे में बदलाव पर विचार कर रहा है.
मॉडल निकाहनामे में हो सकता है बदलाव
मुस्लिम महिलाओं से जुड़े तीन तलाक के मामले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में फूट पड़ने लगी है. बोर्ड के एक गुट ने मॉडल निकाहनामा बदलाव के लिए कमर कस ली है. अभी तक तीन तलाक पर सरकार और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को पर्सनल लॉ बोर्ड धार्मिक मामलों में दखल बताता रहा था लेकिन अब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कुछ सदस्य निकाहनामे में बदलाव पर अड़ गए हैं. गौरतलब है कि देश में चल रही ट्रिपल तलाक को लेकर बहस और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मॉडल निकाहनामे में बदलाव के संकेत दिए हैं और अगर ऐसा होता है तो वाकई ये मुस्लिम महिलाओं के लिए बड़ा दिन साबित हो सकता है.
हैदराबाद में बैठक, हो सकता है बड़ा ऐलान
हैदराबाद में आज से शुरू हो रही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में मॉडल निकाहनामे में संशोधन को लेकर चर्चा हो सकती है. इसमें प्रस्ताव दिया गया है कि सभी काजियों को बताया जाएगा कि निकाह पढ़ाते वक्त निकाहनामे में ये प्वाइंट शामिल करें कि पति ‘ट्रिपल तलाक इन वन सिटिंग‘ मतलब तीन तलाक नहीं देगा. वहीँ बजट सत्र में भी प्रधानमंत्री मोदी ने बिल को मुस्लिम महिलाओं के हक में बताते हुए इसे पास कराने की अपील की.
राज्यसभा में लटका ट्रिपल तलाक कानून:
16 दिसंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हुआ था, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा ट्रिपल तलाक पर कानून का प्रस्ताव पेश किया गया था. यह बिल लोकसभा में पारित हो चुका है, वहीँ केंद्र सरकार ने ट्रिपल तलाक बिल को राज्यसभा में पेश किया. मुस्लिम महिला बिल को केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद पेश किया. लेकिन विपक्ष ने इसका विरोध किया और इसको राज्यसभा में मंजूरी नहीं मिलने से इसको क़ानूनी रूप में बदलने को लेकर अड़चन बरक़रार है. लोकसभा में बिल को आसानी से पारित कराने वाली मोदी सरकार के लिए राज्यसभा में बिल को पारित करवाना एक टेढ़ी खीर साबित हुआ है. कानून मंत्री ने कहा था कि लोकसभा में बिल पास होने के बाद भी मुरादाबाद में एक महिला को दहेज़ के नाम पर तीन तलाक दिया गया.