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मोदी कैबिनेट में फेरबदल: क्यों लिया गया स्मृति से I&B का कार्यभार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार रात अपनी कैबिनेट में फेरबदल किया और स्मृति ईरानी को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से मुक्त कर दिया गया. वहीं रेल मंत्री पीयूष गोयल को वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया.

स्मृति ईरानी से लिया सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय:

सोमवार की रात केंद्र की मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल किया गया. वित्त मंत्री अरुण जेटली का स्वास्थ्य ठीक नहीं होने कारण रेल मंत्री पीयूष गोयल को वित्त मंत्रालय की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है. स्मृति ईरानी से सूचना प्रसारण मंत्रालय लेकर राज्यवर्धन राठौर को स्वतंत्र प्रभार दिया किया है. स्मृति ईरानी के पास अब केवल कपड़ा मंत्रालय की जिम्मेदारी रहेगी.

-मंत्रिमंडल के इस फेरबदल में स्मृति ईरानी का कद छोटा किया गया है. उनसे सूचना प्रसारण मंत्रालय वापस लेकर राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर को सूचना प्रसारण मंत्रालय स्वतंत्र प्रभार दे दिया गया है.

-राठौर अब पूरी तरह से अपने मंत्रालय को देखेंगे. ईरानी अब सिर्फ कपड़ा मंत्रालय ही देखेंगी.

-यह दूसरी बार है जब स्मृति ईरानी की जिम्मेदारियों में बदलाव किया गया है. इससे पहले उनसे मानव विकास मंत्रालय छीना गया था.

-स्मृति के अलावा केंद्रीय मंत्री एसएस अहलूवालिया को पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय से मुक्त कर उन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है.

-अभी तक यह मंत्रालय अल्फ़ोंस कन्ननधनम के पास था. अल्फोंस अब केवल पर्यटन मंत्रालय का ही काम देखेंगे.

पीयूष गोयल वित्त मंत्रालय का सम्हालेंगे काम:

वहीं रेल मंत्री पीयूष गोयल को वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है. बता दें कि वित्त मंत्री अरुण जेटली पिछले एक महीने से अस्वस्थ्य चल रहे हैं. किडनी में खराबी होने के कारण वे डायलिसिस पर थे.

सोमवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में उनकी किडनी ट्रांसप्लांट की गई. जेटली को रविवार को एम्स में भर्ती कराया गया था.

जेटली के स्वस्थ्य होने तक वित्त मंत्रालय का कार्यभार रेल मंत्री पीयूष को सौंपा गया है.

क्यों छिना स्मृति इरानी से मंत्रालय:

स्मृति ईरानी का सूचना एवं प्रसारण मंत्री के तौर पर कार्यकाल एक साल से भी कम का रहा, हालांकि यह समय भी विवादों से भरपूर था। स्मृति ईरानी ने मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय का पदभार दो साल पहले छोड़ा था, लेकिन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का पूरा जिम्मा उन्हें सितंबर 2017 में मिला।

विवादों में रहा स्मृति का कार्यकाल:

-विवादों की शरुआत सूचना प्रसारण मंत्रालय के उस आदेश से हुई, जिसमें 40 इन्फॉर्मेशन सर्विस ऑफिसर्स के तबादले की बात कही गई थी
इस आदेश के बाद अधिकारियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय से हस्तक्षेप की मांग की।
-इसके बाद पब्लिक ब्रॉडकास्टर कर्मचारियों की संख्या कम करने, मैनेजमेंट फंड, डीडी के फ्री डिश और स्लॉट सेल पॉलिसी को लेकर प्रसारभारती के चेयरमैन ए सूर्य प्रकाश के साथ विवाद होना।
-सूर्य प्रकाश पूर्व पत्रकार हैं, और आरएसएस के करीबी माने जाते हैं।

फेक न्यूज पर पत्रकारों की मान्यता रद्द करने का मामला:

इसके बाद मंत्रालय की तरफ से आदेश आया जिसे लेकर काफी विवाद हुआ। आदेश में कहा गया कि गलत जानकारी देने पर पत्रकारों की मान्यता रद्द कर दी जाएगी। हालांकि पीएमओ के हस्तक्षेप के बाद इस आदेश को कैंसल कर दिया गया।

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार वितरण विवाद:

-पिछले एक हफ्ते में मंत्रालय को दो और विवादों का सामना करना पड़ा। एक विवाद राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के प्रजेंटेशन के दौरान हुआ
-मंत्रालय पर आरोप लगा कि उसने राष्ट्रपति को कार्यक्रम के बारे में सही जानकारी नहीं दी। अवॉर्ड पाने वाले कई लोगों ने विरोध किया, क्योंकि राष्ट्रपति सिर्फ 16 लोगों को ही अवॉर्ड देने वाले थे। इसके बाद राष्ट्रपति भवन के प्रवक्ता की तरफ से जानकारी आई कि उसने मंत्रालय को दो हफ्ते पहले ही जानकारी दे दी थी कि राष्ट्रपति सिर्फ 1 घंटे के लिए ही कार्यक्रम में रहेंगे।
-इस हफ्ते दूसरा विवाद एशियाई मीडिया समिट के दौरान हुआ, जब कुछ इंटरनैशनल गेस्ट के लिए सही इंतजाम नहीं करने की बात सामने आई।
इन तमाम विवादों के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रासलय में अब तक राज्य मंत्री रहे राज्यवर्धन सिंह राठौर को मंत्रालय की पूरी जिम्मेदारी दे दी गई है।

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