वित्त मंत्री अरुण जेटली को नोटबंदी लागू किये जाने की जानकारी थी या नहीं. इस पर अभी भी प्रश्नचिन्ह बरकरार है. प्रधानमन्त्री ऑफिस, आरबीआई के बाद अब वित्त मंत्रालय ने भी ये जानकारी देने से साफ़ इनकार कर दिया है.
नोटबंदी सवाल से संबंधित रिकॉर्ड मौजूद नहीं
- आरटीआई अधिनियम के तहत “सूचना” की परिभाषा एक लोक प्राधिकरण के नियंत्रण में
- “किसी भी रूप में किसी भी सामग्री” को दर्शाता है.
- प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा दायर आरटीआई आवेदन में
- वित्त मंत्रालय की प्रतिक्रिया काफी अहमियत रखती है क्योंकि यह कहा गया है कि
- वहाँ सवाल से संबंधित रिकॉर्ड हैं लेकिन वे सूचना के अधिकार कानून के तहत
- खोले नहीं जा सकते.मंत्रालय ने जानकारी से इनकार करने के लिए सूचना का अधिकार
- अधिनियम के तहत छूट खंड में उद्धृत किये गए अधिनियम के बारे में बताया है.
- यह तथ्य कैसे जानकारी खंड को आकर्षित करेगा इस पर सरकार द्वारा
- कोई सफाई नहीं दी गयी है.दर्शायां खंड ये जानकारी दे रहा है
- ऐसे प्रकटीकरण जो भारत की संप्रुभता, सुरक्षा, राज्य के रणनीतिक, वैज्ञानिक या
- आर्थिक हितों, विदेशी राज्य के साथ संबंध की अखंडता को प्रभावित
- या किसी अपराध की शह और इस तरह के आपराधिक प्रावधानों पर रोक की अनुमति देता है.
प्रधानमन्त्री ऑफिस, रिज़र्व बैंक और वित्त मंत्रालय का इनकार
- तीन प्रमुख अंग जो नोटबंदी से ताल्लुक रखते हैं यानी-प्रधानमन्त्री ऑफिस,
- रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया और वित्त मंत्रालय. तीनों ने ये जानकारी
- साझा करने से इनकार कर दिया है कि नोटबंदी लागू होने से पहले
- इस बात की जानकारी वित्त मंत्री और वित्त मंत्रालय को थी या नहीं?
- आरटीआई के तहत कई ऐसे नियम हैं जो बेहद संवेदनशील तथ्यों को उजागर करने से
- मना करते हैं.जो जनहित में किसी को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
पूर्व सेंट्रल इनफार्मेशन कमिश्नर का बयान
- पूर्व सेंट्रल इनफार्मेशन कमिश्नर का कहना है कि वर्तमान केस में कोई छूट खंड नहीं है.
- उन्होनें कहा नियम बहुत साफ हैं अगर पब्लिक अथॉरिटी जानकारी साझा करने से इनकार करती है.
- तो उसे अपना पक्ष भी रखना चाहिए कि वो किस आधार पर इनकार कर रही है.
- प्रधानमन्त्री ऑफिस और आरबीआई के जवाबपर पूर्व सेंट्रल इनफार्मेशन कमिश्नर का कहना है कि
- जवाब गलत तरह से दिया गया है. जिसने जानकारी मांगी है वो तथ्य रिकॉर्ड में होगा और
- यह जानकारी राईट टू इनफार्मेशन के तहत आएगी.
- पिछले वर्ष आठ नवम्बर की घोषणा के बाद नोटबंदी की जानकारी
- कानूनी निविदा के तहत नहीं रह गयी.