बंगाल विभाजन के समय देश की राजनीति से खुद को अलग न रख पाने वाले रामानंद चैटर्जी की आज 152वीं जयंती है। उन्हें भारतीय पत्रकारिता का जनक माना जाता है। उन्होंने ‘प्रवासी’ ‘बंगाल भाषा’, ‘ Modern Review’ अंग्रेजी में तथा ‘विशाल भारत’ जैसी पत्रिकाएं निकाली। ‘मार्डन रिव्यू’ की गिनती अंग्रेजी संसार के आधे दर्जन श्रेष्ठ पत्रों में होती थी। रामानंद चैटर्जी अपत्रिका के एक पुरोगामी शख्सियत थे।
रामानंद चैटर्जी के जीवन पर एक नजर :
- रामानंद चैटर्जी का जन्म 29 मई 1865 पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिले में हुआ था।
- उन्होंने कलकत्ता और बांकुड़ा से अपनी शिक्षा-दीक्षा ग्रहण की, वह एक मेधावी छात्र थे।
- रामानंद 1887 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के सिटी कॉलेज में प्राध्यापक बने।
- इसी दौरान वह केशवचंद्र सेन के संपर्क में आए और ब्रह्मसमाजी हो गए।
- साथ ही वह आचार्य जगदीश चंद्रबोस तथा शिवनाथ शास्त्री से अत्यन्त प्रभावित थे।
- वह सिटी कॉलेज में 8 साल की नौकरी के बाद 1895 से 1906 तक इलाहाबाद के कायस्थ पाठशाला में प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत रहे।
- इस कॉलेज से “कायस्थ समाचार” नाम का एक उर्दू पत्र प्रकाशित होता था।
- जिसके संपादन का भार रामानंद चैटर्जी के ऊपर था।
- रामानंद ने “कायस्थ समाचार” शिक्षा प्रचार के उद्देश्य से इसे उर्दू से अंग्रेजी में परिवर्तित कर दिया।
- उन्होंने 1901 में इंडियन प्रेस के चिंतामणि घोष के सहयोग से ‘प्रवासी’ बांग्ला मासिक पत्र निकाला।
- इस समय कुछ मतभेद के कारण रामानंद को कॉलेज से इस्तीफा देकर कलकत्ता वापस आना पड़ा।
- उन्होंने 1929 में लाहौर कांग्रेस अधिवेशन के सभापतित्व का नेतृत्व किया।
- रामानंद चैटर्जी ने 50 वर्षों तक सार्वजनिक जीवन व्यतीत किया।
- इनकी मृत्यु 30 सितंबर 1943 को हुई थी।
1907 में निकाला मार्डन रिव्यू :
- रामानंद चैटर्जी 1907 में प्रयाग से ‘मार्डन रिव्यू’ नाम की पत्रिका प्रकाशित की।
- ‘मार्डन रिव्यू’ के कुछ अंकों ने ही देश विदेश में अपना प्रभाव फैला दिया।
- कई प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय लेखक मार्डन रिव्यू में लेख लिखने में अपना गौरव मानते थे।
- रामानंद ने ही सर्वप्रथम रवींद्रनाथ टैगोर को अंग्रेजी जगत के सम्मुख प्रस्तुत किया।
- रवींद्रनाथ टैगोर की पहली अंग्रेजी रचना ‘मार्डन रिव्यू’ में ही प्रकाशित हुई।
- पत्रिका के प्रभाव को देखकर तथा उनकी आलोचनाओं से विचलित होकर यूपी सरकार ने उन्हें प्रयाग छोड़ने का आदेश दिया।
- 1926 में राष्ट्रसंघ (लीग अॉफ नेशनंस) की बैठक में उपस्थित होने के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया।
- इस बैठक में चैटर्जी अपने खर्च से 1926 में जेनेवा गए, साथ ही उन्होंने कुछ देशों का भ्रमण किया।
- उन्होंने सरकारी खर्च से यात्रा करने से इसलिए इंकार कर दिया ताकि उनके स्पष्ट और निर्भीक विचारों पर किसी प्रकार भी आर्थिक दबाव की आंच न आने पाए।
- अमेरिका के पादरी जेटी संडरलैंड की पुस्तक ‘इंडिया इन बॉण्डेज’ को ‘मार्डन रिव्यू’ में धारावाहिक रूप में और बाद में ‘प्रवासी’ प्रेस से पुस्तक के रूप में प्रकाशित की।
- गौरतलब है कि यह पुस्तक जब्त कर ली गई और रामानंद को पुस्तक के प्रकाशन के लिए दंडित होना पड़ा।
- प्रसिद्ध इतिहासकार यदुनाथ सरकार और मेजर वामनदास बसु के ऐतिहासिक शोध विषयक लेख ‘मार्डन रिव्यू’ में छपे।
- ‘मार्डन रिव्यू’ पत्रिका की गिनती अंग्रेजी भाषा के आधे दर्जन श्रेष्ठ पत्रों में की जाती थी।
सच्चे समाज सुधारक थे रामानंद :
- रामानंद चैटर्जी हिंदी की व्यापकता से अनभिज्ञ नही थे इसके बावजूद वह इसे राष्ट्रभाषा नही मानते थे।
- उन्हें अनुभव हुआ कि बिना हिंदी का आश्रय लिए उनका उद्देश्य अपूर्ण रह जाएगा।
- इसी उद्देश्य से 1928 में उन्होंने मासिक ‘विशाल भारत’ नामक पत्रिका निकाली।
- ‘विशाल भारत’ में प्रवासी भारतीयों की समस्या पर विशेष ध्यान दिया गया।
- रामानंद कुशल पत्रकार और लेखक ही नहीं वरन सच्चे समाज सुधारक भी थे।
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