गौरतलब है पिछले कई महोने में गौरक्षा के नाम पर न जाने कितने बेकसूरों के मारा गया, कितनी बहु बेटियों कि इज्ज़त से खेला गया और न जाने कितने ही आपराधिक कामों को अंजाम दिया गया । यहाँ तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि गाय की रक्षा के नाम पर सक्रिय 80 फीसदी से ज़्यादा लोग आपराधिक गतिविधियों में शामिल हैं। लिहाज़ा गौरक्षकों पर लगाम लगाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार हो गया है । कोर्ट ने इस मामले में केंद्र और 6 राज्यों को 7 नवंबर को अपना पक्ष रखने को कहा है।
कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला की तरफ से दाखिल याचिका पर SC सुनवाई को हुआ तैयार
- गौरक्षा के नाम पर देश में कभी दलितों को मारा जा रहा है तो कभी मुसलमानों पर अत्याचार किया जा रहा है
- इसी के चलते कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला की तरफ से SC में एक याचिका दाखिल कि गई थी
- जिसमे कहा गया था कि ‘खुद PM मोदी ने भी कहा कि गाय की रक्षा के नाम पर सक्रिय 80 फीसदी से ज़्यादा लोग आपराधिक गतिविधियों में शामिल हैं।’
- फिर भी इनके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई न होना हैरानी की बात है।
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- पूनावाला ने बताया कि ‘कई राज्य बकायदा गौरक्षक संगठनों को मान्यता देते हैं’।
- संगठनों के सदस्यों को बकायदा पहचान पत्र जारी किये जाते हैं।
- तहसीन पूनावालाने कहा कि कई राज्यों में तो इन गौरक्षकों को सरकारी कर्मचारी जैसा दर्जा हासिल है।
- कांग्रेस नेता द्वारा दाखिल याचिका में छह राज्यों में इस तरह की व्यवस्था होने की बात कही गई है,
- जिनमे गुजरात, महाराष्ट्र, यूपी, झारखंड , कर्नाटक और राजस्थान राज्य आते हैं ।
- दाखिल याचिका में ‘नंदिनी सुंदर’ मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला भी दिया गया है।
- इस फैसले में कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का सामना करने के लिए बनाए गए संगठन।
- सलवा जुडूम को अवैध करार दिया था।
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- कोर्ट ने कहा था कि लोगों की रक्षा सरकार का काम है।
- नागरिकों के किसी प्रतिरक्षक संगठन को मंजूरी नहीं दी जा सकती।
- जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने आज इस मामले पर औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया।
- लेकिन मामले में पक्ष बनाए गए राज्यों को याचिका की कॉपी दिए जाने को कहा है।
- सभी राज्यों और केंद्र को अगली सुनवाई में याचिका में उठाए गए मुद्दों पर अपना पक्ष रखना है।
- कोर्ट ने इस मामले में केंद्र और 6 राज्यों को 7 नवंबर को अपना पक्ष रखने को कहा है।
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