रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ‘RBI’ के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के जाने के बाद भारत में बैड बैंक लाने के कांसेप्ट पर फिर से विचार किया जा सकता है । पूर्व गवर्नर राजन ‘बैड बैंक’ के आइडिया के खिलाफ थे । परन्तु अब ऊर्जित पटेल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ‘RBI’ के नए गवर्नर बन गए हैं तो उनके आने के बाद पुनः बैड बैंक को लाने पर विचार किया जा सकता है, जिसके माध्यम से कर्ज में फंसे बैंक अपनी देयताओं को बैड बैंक को स्थानांतरित कर पाएंगे ।
क्या है बैड बैंक ?
- ‘बैड बैंक‘ एक आर्थिक अवधारणा है ।
- इस अवधारणा के अंतर्गत आर्थिक संकट के समय घाटे में चल रहे बैंकों द्वारा अपनी देयताओं को एक नए बैंक को स्थानांतरित कर दिया जाता है ।
- ये नया बैंक कर्ज में फंसी उनकी राशि को खरीद लेता है और उससे निपटने का काम भी इसी बैंक द्वारा किया जाता है ।
- जब किसी बैंक की गैर निष्पादित संपत्ति सीमा से अधिक हो जाती है ।
- तब राज्य के आश्वासन पर एक ऐसे बैंक का निर्माण किया जाता है ।
- जो मुख्य बैंक की देयताओं को एक निश्चित समय के लिए धारण कर लेता है ।
राजन ने क्यों किया था ‘बैड बैंक’ का विरोध
- राजन ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि ऐसा करने से बैंक लापरवाह हो जाएंगे ।
- उनके अनुसार अपना पैसा वसूलने की जिम्मेदारी खुद बैंकों की होनी चाहिए ।
- बैड बैंक आने से बैंक यही समझेंगे कि उन्हें देयताओं से छुटकारा मिल जाएगा ।
- राजन ने ये भी कहा था की लोन सही तरह से न चुकाए जाने की स्थिति में ।
- अगर इसे बैड बैंक को स्थानांतरित कर दिए जाएगा ।
- तो इससे दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं ।
- राजन का ये भी कहना था कि भारत के लिए बैड बैंक और गुड बैंक का कॉन्सेप्ट सही नहीं है ।
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